महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों का इंतजार सभी कर रहे हैं। इस बीच मुंबई की नागरिक और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का भविष्य भी इसी चुनाव पर निर्भर है। इसकी अनुमानित लागत लगभग 10,705 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं का भविष्य भी जीत मिलने वाले गठबंधन पर निर्धारित है।2022 से बीएमसी को राज्य द्वारा नियुक्त प्रशासक द्वारा चलाया जा रहा है। पिछले दो वर्षों में नागरिक अधिकारियों ने कई परियोजनाओं की घोषणा की और शुरुआत की। इन्हें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने प्रस्तावित और समर्थन किया था।
मुंबई की सड़कों के कंक्रीटीकरण, गर्गई पिंजल प्लांट और महालक्ष्मी रेस कोर्स में एक खुले पार्क के निर्माण जैसी परियोजनाओं का शिंदे सरकार ने समर्थन किया है। हालांकि पिछले महाविकास अघाड़ी (MVA) शासन के दौरान कल्पना की गई डिसेलिनेशन प्लांट जैसी परियोजनाओं को शिंदे सरकार के कार्यकाल के दौरान ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
इन घटनाओं के कारण पिछले दो वर्षों में राज्य के सत्तारूढ़ और विरोधी गठबंधनों के बीच कई राजनीतिक वार पलटवार हुए। हालांकि एमवीए ने घोषणा की है कि सत्ता में आने पर शिंदे सरकार की प्रस्तावित इन परियोजनाओं को रद्द कर देंगे जबकि महायुति गठबंधन ने मुंबई के समग्र विकास के लिए इन परियोजनाओं के महत्व पर जोर दिया है।
महालक्ष्मी रेस कोर्स
महालक्ष्मी रेस कोर्स परियोजना ने पिछले एक वर्ष से अधिक समय से काफी राजनीतिक घमासान मचा रखा है। बीएमसी ने इस साल जनवरी में रेस कोर्स की जमीन के एक बड़े हिस्से को अपने कब्जे में लेने और इसे एक सार्वजनिक पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव रखा था। सीएम एकनाथ शिंदे ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे शहर में 120 एकड़ अतिरिक्त खुली-ग्रीन जगह मिल जाएगी।
इस बीच शिवसेना (यूबीटी) नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने खुले तौर पर इसे पूरे भूखंड का व्यावसायीकरण करने के लिए महायुति सरकार द्वारा भूमि हड़पने का कदम करार दिया। आदित्य ठाकरे ने यह भी कहा कि अगर एमवीए सत्ता में आया तो प्रस्ताव रद्द कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि वह महालक्ष्मी में 226 एकड़ की खुली जगह को हड़पने की किसी भी कोशिश के खिलाफ हैं। ठाकरे ने कहा था, “हम अत्यधिक प्रदूषण से जूझ रहे हैं और कोई भी सरकारी अधिकारी इसे हल करने के लिए प्रतिक्रिया देने या कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठा रहा है। हम बीजेपी प्रायोजित सीएम की मर्जी पर अपनी खुली जगह नहीं छोड़ सकते। महालक्ष्मी रेस कोर्स का खुला पार्क मुंबईकरों के लिए एक उपहार होने जा रहा है। 226 एकड़ में से 120 एकड़ को ऑक्सीजन पार्क के रूप में खुली जगह के रूप में विकसित किया जाएगा। वहां कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। हमारा दृष्टिकोण शहर के सर्वोत्तम हित में मुंबई को बदलना है।”
गर्गई-पिंजल जल आपूर्ति परियोजना और डिसेलिनेशन प्लांट
पानी की बढ़ती ज़रूरत को पूरा करने के लिए बीएमसी ने 2016 में पालघर जिले में गर्गई-पिंजल और दमनगंगा-पिंजल नदी लिंक पर बांधों का एक नेटवर्क बनाने का प्रस्ताव रखा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने इसका प्रस्ताव रखा था और बीएमसी ने 3,100 करोड़ रुपये का बजट रखा था। इस परियोजना पर काम जोरों पर था, लेकिन जब 2019 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सत्ता में आई, तो पर्यावरण संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए इस परियोजना को रोक दिया गया। उसने कहा कि इस परियोजना के लिए 4.5 लाख पेड़ों को काटने की आवश्यकता होगी। एक विकल्प के रूप में एमवीए सरकार ने प्रति दिन 440 मिलियन लीटर पानी (एमएलडी) की आपूर्ति करने के लिए 1,600 करोड़ रुपये के डिसेलिनेशन प्लांट के निर्माण का प्रस्ताव रखा।
बीएमसी ने पिछले साल डिसेलिनेशन प्लांट के लिए टेंडर जारी किए थे। हालांकि इसी साल सितंबर में उन्हें रद्द कर दिया। जब 2022 में शिंदे-फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार सत्ता में आई, तो गर्गई पिंजल परियोजना फिर से शुरू हुई। बीएमसी ने परियोजना के लिए वनीकरण करने के लिए चंद्रपुर में भूमि भी अधिग्रहित की थी।
हाल ही में मुंबई को लंबे समय तक पानी की कमी का सामना करना पड़ा था, तब भाजपा विधायक और पार्टी के मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने परियोजना को रद्द करने के लिए एमवीए सरकार पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “समुद्री जल का डिसेलिनेशन बहुत महंगा होने के अलावा कई नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव डालता है। हमने इस बारे में बताया था लेकिन एमवीए सरकार ने फिर भी इस पर जोर दिया, साथ ही अपने ठेकेदार मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए मामूली मुद्दों का हवाला देते हुए गर्गई-पिंजल परियोजना को भी रद्द कर दिया।”
हालांकि आदित्य ठाकरे ने गर्गई पिंजल परियोजना पर डिसेलिनेशन प्लांट को फिर से चालू करने का अपना रुख बरकरार रखा। आदित्य ने अपने एक प्रचार कार्यक्रम में कहा था, “भले ही कोई बांध बना ले, लेकिन अगर बारिश नहीं होगी तो आपको पानी कहां से मिलेगा? हमें वर्षा पर निर्भरता को छोड़कर अन्य स्रोतों पर निर्भर होने की आवश्यकता है। एक दशक पहले डिसेलिनेशन के माध्यम से एक लीटर पानी का उत्पादन करने की लागत 27 रुपये थी, आज यह घटकर 11.50 रुपये रह गई है। बांधों द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले पानी की लागत डिसेलिनेशन के समान है।”
सड़क कंक्रीटीकरण
2022 में सरकार बनाने के बाद शिंदे-फडणवीस सरकार ने मुंबई की 397 किलोमीटर सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने के लिए 6,000 करोड़ रुपये की लागत से कंक्रीटीकरण की घोषणा की। हालांकि सेना-यूबीटी के आदित्य ठाकरे ने इस परियोजना का खुलेआम विरोध किया और इसे एक घोटाला करार दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि इस परियोजना का मूल्यांकन कई गुना बढ़ा दिया गया था और उन्होंने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर इस परियोजना को रद्द करने का आग्रह किया था।