महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। वहीं राजनीतिक दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। अब एनसीपी (शरद पवार) गुट के जयंत पाटिल ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने फडणवीस पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कथित 70,000 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले की खुली जांच के लिए उन्हें पूर्व गृह मंत्री दिवंगत आरआर पाटिल द्वारा हस्ताक्षरित फाइलें दिखाई थीं। इसी का जिक्र जयंत पाटिल ने किया है।
अजित पवार को ब्लैकमेल किया गया- जयंत पाटिल
जयंत पाटिल ने कहा कि अजित पवार के बयान से पता चलता है कि काफी समय से एनसीपी में अंदरूनी कलह को बढ़ावा देने की कोशिशें जारी हैं। इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में जयंत पाटिल ने कहा, ”आपने (फडणवीस) विपक्ष में रहते हुए अजित पवार पर आरोप लगाया, सत्ता में आने के बाद उनकी जांच की और आर आर पाटिल पर आरोप लगाने वाली फाइल उन्हें दिखाई। इसका मतलब है कि तभी से हमारी पार्टी में अंदरूनी कलह को हवा देने की कोशिशें चल रही थीं। दूसरे फाइल दिखाकर अजित पवार को दस साल तक ब्लैकमेल किया गया। इससे पता चलता है कि वह बार-बार बीजेपी में क्यों जाना चाहते थे? अजित पवार को ब्लैकमेल किया गया।”
जयंत पाटिल ने कहा कि अजित पवार के बयान ने देवेंद्र फड़णवीस की कार्यशैली को उजागर कर उन्हें बड़ी मुसीबत में डाल दिया है। उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि वह (अजित पवार) खुद इसकी वजह से घिरे हुए हैं। लेकिन उन्होंने देवेन्द्र फड़णवीस को और मुसीबत में डाल दिया है। इससे पिछले दस सालों में फड़णवीस की कार्यशैली के साथ-साथ दोनों के रिश्ते भी उजागर हो गए। अगर वह नेता प्रतिपक्ष को फाइल दिखाते तो मुझे समझ आता। लेकिन वह (अजित पवार) महज एक विपक्षी विधायक थे।”
अजित पवार ने क्या कहा था?
29 अक्टूबर को सांगली जिले की तासगांव विधानसभा सीट पर एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अजित पवार ने कहा था कि 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद सीएम बने देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें आरआर पाटिल द्वारा हस्ताक्षरित एक फाइल दिखाई, जिसमें मामले में उनके खिलाफ एसीबी जांच की सिफारिश की गई थी।”
अजित पवार किसी के खिलाफ कुछ भी बोल सकते- जयंत पाटिल
जयंत पाटिल ने कहा, “ऐसे व्यक्ति के खिलाफ बात करना जो अब अपना बचाव नहीं कर सकता, बहुत गलत है। वह उनके साथ न जुड़ने के लिए हमारी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन जब पार्टी विभाजित हुई तब आरआर पाटिल जीवित नहीं थे। वह उसका नाम कैसे घसीट सकते हैं? नौ साल बाद क्यों? इससे पता चलता है कि वह (अजित) किसी भी व्यक्ति के बारे में कुछ भी बोल सकते हैं, भले ही उनके साथ कोई भी काम कर रहा हो।”