मध्य प्रदेश के रतलाम में एक सास-ससुर ने अपनी विधवा बहू को बेटी की तरह विदा किया है। सास-ससुर ने अपनी ढलती उम्र को देखते हुए बहू के पुर्नविवाह का फैसला किया। लॉकडाउन भी इस शादी के आड़े नहीं आया। शादी में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन किया गया। शादी में 3 परिवारों के कुछ लोग ही शामिल हुए। विधवा बहू को बेटी की तरह विदा करने वाली यह शादी चर्चा का विषय बनी है।
रतलाम की रहने वाली ऋषभ जैन और सरला जैन ने 8 साल पहले बेटे मोहित की शादी आष्टा निवासी सोनम से की थी। शादी के तीन साल बाद मोहित को कैंसर हो गया और जिंदगी की जंग हार गया। पति की मौत बाद सोनम, सास-ससुर के पास ही रहने लगी। वह सास-ससुर की खूब सेवा करती और वे भी उसे बेटी की तरह प्यार देते।
ऋषभ ने बताया कि 2012 में बेटे की शादी कर बहू को घर लाए थे, लेकिन तीन साल बाद ही मोहित की मृत्यु हो गई। बहू बेटी बनकर उनके पास ही रह गई। अब हमारी तो उम्र हो चली है। हमारी बेटी (जो हमारी बहू है) उसकी तो सारी जिंदगी पड़ी है। इसी कारण हमने नागदा के रहने वाले सौरभ जैन से उसकी शादी की। सौरभ अच्छा काम करता है। हमारी बहू भी पढ़ी-लिखी है और समझदार भी है। ईश्वर से हमारी प्रार्थना है कि वे दोनों हमेशा खुश रहें।
परिजनों को नागदा जाकर शादी करनी थी। होटल बुक हो था, लेकिन लॉकडाउन के चलते मोहित के मामा ललित कांठेड़ ने प्रशासन से बातकर अपने ही घर पर ही शादी की सारी व्यवस्था की। सोनम को विदा करते सास-ससुर की आंखों से आंसू छलक पड़े।
सरला जैन ने बताया कि बहू की शादी इसलिए की, क्योंकि अब हम पति-पत्नी ही रह गए थे। हमारी उम्र भी हो चली है, लेकिन बहू की उम्र तो बाकी है। हमारे चले जाने के बाद वह सारी जिंदगी अकेले कैसे काटती, इसलिए शादी की। बहू को जब विदा किया तो बेटी के रूप में ही विदा किया। सब कुछ वही दिया जो बेटी को दिया था।