बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद भाजपा के लिए मध्यप्रदेश में रतलाम-झाबुआ लोकसभा और देवास विधानसभा सीट पर 21 नवंबर को हो रहे उपचुनाव में दोनों सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती होगी। इन दोनों सीटों पर विजय पताका फहराने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान खूब मेहनत की है, ताकि उनके प्रत्याशी लोकसभा और विधानसभा में पहुंच सकें। उपचुनाव में दोनो सीटों पर भाजपा सहानुभूति लहर पर सवार है, क्योंकि यह उपचुनाव उसके सांसद और विधायक के निधन की वजह से हो रहे हैं और उसने लोकसभा उपचुनाव में दिवंगत सांसद की पुत्री और विधानसभा चुनाव में दिवंगत विधायक की पत्नी को टिकट दी है।

रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित है और भाजपा ने मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) लहर पर सवार होकर आजादी के बाद 2014 के पिछले संसदीय चुनाव में पहली बार यहां जीत का स्वाद चखा था। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए दिलीप सिंह भूरिया ने पिछले लोकसभा चुनाव में 1998 से लगातार चार बार के कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया को शिकस्त दी थी। दिलीप सिंह का इस साल 24 जून को गुडगांव के एक अस्पताल में संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया था। उनके निधन से रिक्त हुई सीट के लिए यह उपचुनाव हो रहा है। भाजपा ने पेटलावद से उनकी विधायक पुत्री निर्मला भूरिया को टिकट दी है, जबकि कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया पर एक बार फिर अपना भरोसा जताया है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि आदिवासी बहुल इस संसदीय क्षेत्र का मतदाता कल होने वाले मतदान में निर्मला भूरिया के प्रति सहानुभूति जाहिर करेगा अथवा कांतिलाल भूरिया के प्रति अपना पुराना विश्वास बहाल करेगा। यहां मतों की गिनती 24 नवंबर को होगी। 19 नवंबर को समाप्त हुए चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और गैर भाजपा दलों ने जहां अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित इस सीट पर बिहार में सफलता का पैमाना बन चुके आरक्षण के मुद्दे को एक बार फिर जोरशोर से उठाया है।

गौरतलब है कि जनता दल (एकी) ने यहां सीपीआइ, सीपीएम, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी व बहुजन संघर्ष दल से गठबंधन कर अपना एक संयुक्त प्रत्याशी विजय हारी को मैदान में उतारा है, जिसके लिए चुनावी सभाएं करने जद (एकी) प्रमुख शरद यादव खुद यहां आ चुके हैं। पार्टी ने उपचुनाव प्रचार के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू यादव के आने का भी ऐलान किया था, लेकिन ये दोनों नेता व्यस्तता के चलते आ नहीं पाए।

मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता को इस उपचुनाव में भी भुनाने की कोशिश की है और उन्हीं के हाथ में पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान की कमान भी रही है। हालाकि, भाजपा के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व थावरचंद गेहलोत, प्रदेश अध्यक्ष सांसद नंदकुमार सिंह चौहान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व मध्यप्रदेश मामलों के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्घे और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सहित प्रदेश कैबिनेट के कई मंत्रियों ने भी जमकर चुनाव प्रचार किया है।

कांग्रेस की ओर से उसके वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और महासचिव दिग्विजय सिंह सहित प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव, राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट, महासचिव व मध्यप्रदेश मामलों के प्रभारी मोहन प्रकाश, पूर्व मंत्री महेश जोशी, पार्टी सचिव मीनाक्षी नटराजन, महिला कांग्रेस अध्यक्ष शोभा ओझा, विधायक जीतू पटवारी ने मतदाताओं को कांतिलाल भूरिया के पक्ष में मोड़ने का प्रयास किया। कांग्रेस और गैर भाजपा दलों द्वारा उपचुनाव के दौरान आरक्षण को लेकर किए जा रहे हमलों का मुख्यमंत्री चौहान ने यह कहकर जवाब दिया, ‘कोई माई का लाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मेरे यहां मुख्यमंत्री रहते आरक्षित वर्ग से आरक्षण छीन नहीं सकता है।’

उधर, देवास विधानसभा उपचुनाव भी भाजपा विधायक व प्रदेश के पूर्व मंत्री कुंवर तुकोजीराव पवार के निधन की वजह से हो रहा है। पवार, देवास के पूर्व राजपरिवार के मुखिया थे। भाजपा ने उपुचनाव में उनकी पत्नी गायत्रीराजे पवार को टिकट देकर यहां भी सहानुभूति लहर पर सवार होने का प्रयास किया है, जबकि कांग्रेस ने यहां एक नया चेहरा जयप्रकाश शास्त्री को आजमाया है, जो छात्र राजनीति से मुख्य धारा की राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं।

वर्ष 2014 के पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के दिलीप सिंह भूरिया ने कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को 1,08,452 मतों के अंतर से परास्त किया था। देखने वाली बात यह होगी कि इस उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया यह अंतर पाट पाते हैं अथवा निर्मला भूरिया अपने पिता को मिली जीत को बरकरार रखती हैं। इस उपचुनाव में रतलाम-झाबुआ लोकसभा क्षेत्र में कुल 17,42,628 मतदाता हैं, जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 8,63,088 है।