हाल में मदुरै के जिलाधिकारी कार्यालय में दान के लिए राशि जमा करने पहुंचे 64 साल के एक बुजुर्ग को देखकर कोई अंदाजा नहीं सका था कि मानवता की सेवा में इस शख्स ने दुनिया के बड़े-बड़े रईसों को पीछे छोड़ दिया है। दुबला-पतला शरीर, सफेद उलझी दाढ़ी, माथे पर तिलक, सिर पर केसरिया कपड़ा पहने उस शख्स ने भीख मांगकर जमा किए दस हजार रुपए कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए जमा कराए।
नाम है एम पुल पांडियां। तमिलनाडु के मदुरै के रहने वाले पांडियां भीख मांग कर गुजर करते हैं। साथ ही, जो रकम वे बचा लेते हैं, उसे दान कर देते हैं। बीते कई साल से वे ऐसा करते आ रहे हैं। पहले वह स्कूलों का बुनियादी ढांचा बेहतर बनाने के लिए अपना उपार्जन दान कर दिया करते थे। अब जो मिलता है, उसे कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए दान कर देते हैं।
अपना पूरा जीवन गरीबी में बिताने वाले पांडियां ने मई के बाद से बीते बुधवार को छठी बार मुख्यमंत्री राहत कोष में राशि दान की है। यह रकम उन्होंने भीख मांगकर जमा की और उसे खुद पर खर्च करने की बजाय दान देना ज्यादा जरूरी समझा। पांडियां ने वहां मीडिया से कहा, ‘जब स्कूल बंद हो गए तो स्कूलों के अधिकारियों ने कहा कि अब महामारी के पीड़ितों को इस पैसे की ज्यादा जरूरत है। मैंने यह पैसा उन लोगों के लिए देने का फैसला किया, जिन्हें कोविड-19 के इलाज के लिए इसकी जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे दूसरों को ज्यादा से ज्यादा देकर बहुत खुशी मिलती है।’ पांडियां का कोई घरबार नहीं है। वह मुख्यत: दक्षिण तमिलनाडु के तीन जिलों- तुथुकुडी, तंजावुर और पुडुकोट्टई में घूमते रहते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कई साल से इन इलाकों के सरकारी स्कूलों के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए अपनी कमाई दान करते चले आ रहे हैं, लेकिन महामारी फैलने के बाद उन्होंने पीड़ितों के इलाज में मदद के लिए मई के बाद से भीख में मिली रकम मदुरै के जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करवाना शुरू कर दिया।
पांडियां ने बताया कि वह पूर्णबंदी शुरू होने से करीब दो सप्ताह पहले मदुरै पहुंचे थे और तब से जिले में ही घूम रहे है। इस दौरान लोगों से कुछ पैसा देने का आग्रह करते हैं और कुछ भी मिलने पर उसे बड़े जतन से सहेज लेते हैं। रात होने पर मंदिरों के बाहर सो जाते हैं और लोगों से मिला खाना खाकर पेट भर लेते हैं।