संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ लखनऊ में दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर कुछ महिला विरोध प्रदर्शन कर रही है। प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने आरोप लगाया है कि रात के समय पुलिस कंबल छीन ले गई। हालांकि लखनऊ पुलिस ने इन आरोपों को ट्विट कर खारिज कर दिया है और लोगों से आग्रह किया है कि अफवाह न फैलाए।
घेरा बनाने की कोशिश कर रही थीं: बता दें कि महिला प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए दावों को खारिज करते हुए लखनऊ पुलिस ने एक ट्वीट में कहा है कि, “लखनऊ के घंटाघर पार्क में चल रहे अवैध विरोध के दौरान, कुछ लोगों ने रस्सियों और लाठी का उपयोग करके घेरा बनाकर चादरें लगाने की कोशिश की। उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं थी। साथ ही कुछ संगठन पार्क परिसर में कंबल वितरित कर रहे थे। जिसके परिणामस्वरूप आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोग जो विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे, लेकिन वह भी कंबल लेने आ रहे थे।
घंटाघरपार्क में #अवैध_धरना_प्रदर्शन के दौरान
कुछसंगठनों द्वारा कम्बल वितरित कराया जारहा था जिससे आसपास केलोग जो धरनेमें सम्मिलित नहींथे वहभी कम्बललेने आरहे थे #पुलिस द्वारा कम्बल एवम् संगठन के व्यक्तियों को हटवाया गया व विधिक कार्यवाही कीगई |कृपया #अफवाह न फैलाएं @lkopolice pic.twitter.com/ovHoviiAA6— Vikas Chandra Tripathi (@vctcop) January 19, 2020
कंबल बाटने वालों पर कार्रवाई कर रही है: पुलिस ने उन व्यक्तियों और संगठनों को वहां से कंबल बांटने से रोका और कानूनी रूप से इसे जब्त करने का काम किया गया है। लखनऊ पुलिस ने लोगों से अफवाह न फैलाने का आग्रह किया। लखनऊ के पुलिस आयुक्त सुजीत पांडे ने भी प्रदर्शनकारियों द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज किया है।
क्या है सीएए : बता दें कि विवादास्पद कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश सहित कई स्थानों पर झड़पें हुई थीं। इस कानून को 11 दिसंबर को पारित किया गया था । संशोधित कानून के अनुसार, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्य जो 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं और वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, उन्हें अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इस कानून में मुसलमानों को बाहर करेगा।

