लोकसभा में केंद्र सरकार ने गुरुवार को भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र पेश किया। आज इस श्वेत पत्र पर सदन में चर्चा हो रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस श्वेत पत्र को लोकसभा में पेश किया। वित्त मंत्री ने चर्चा के दौरान यूपीए सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने कोयले को राख बना दिया था। सीतारमण ने कहा कि हम लोगों ने उस कोयले को हीरा बना दिया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की अर्थव्यवस्था और लोगों के जनजीवन पर उसके प्रभाव पर श्वेतपत्र लोकसभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया। वित्त मंत्री ने कहा, “दस साल से नाजुक स्थिति में चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था को टॉप 5 में पहुंचाने के बाद सरकार ने ‘श्वेत पत्र’ मेज पर रख दिया है। यह जिम्मेदारी के साथ दिया गया बयान है।” वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि यूपीए सरकार के हाथों कोयला घोटाले के कारण भारत को भारी नुकसान हुआ।

सरकार का इरादा ईमानदार है तो परिणाम अच्छे होंगे- वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “एक सरकार के 10 साल कुछ संकट के साथ और 10 साल एक अलग सरकार के कुछ संकट के साथ। इस ‘श्वेत पत्र’ में दिखाई गई तुलना स्पष्ट रूप से बताती है कि अगर सरकार इसे सच्ची ईमानदारी से संभालती है, पारदर्शिता और राष्ट्र को पहले रखने पर, परिणाम सबके सामने हैं। जब आप राष्ट्र को पहले नहीं रखते, जब आप अपने परिवार को पहले रखते हैं, और जब आपके पास पारदर्शिता के अलावा अन्य विचार होते हैं, तो परिणाम आपके सामने होते हैं देखने के लिए। तो 2008 के बाद क्या हुआ जब वैश्विक वित्तीय संकट था और कोविड ​​​​के बाद क्या हुआ, यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि अगर सरकार का इरादा ईमानदार है तो परिणाम अच्छे होंगे।”

श्वेतपत्र में दोनों सरकारों की तुलना

निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा, “मोदी सरकार ने ‘राष्ट्र प्रथम’ रखकर संकट की स्थिति से देश को निकाला, पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के समय देश को प्रथम नहीं रखा गया बल्कि उनके प्रथम परिवार को आगे रखा गया। वित्त मंत्री ने कहा कि श्वेतपत्र में 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के तरीके और कोविड-19 के भयावह हालात से निपटने के मोदी सरकार के तरीकों की तुलना की गई है।

वित्त मंत्री ने कहा , “वैश्विक वित्तीय संकट को संभाल नहीं सके और आज इसे संभालने के बारे में भाषण दे रहे हैं। देश के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया लेकिन घोटालों पर घोटाले जारी रहे। ऐसी स्थिति में उन्होंने देश को छोड़ दिया।”