Lok Sabha Elections: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रविवार को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में टीएमी रैली को संबोधित करेंगी। यह लोकसभा चुनाव को लेकर टीएमसी की तरफ से चुनावी अभियान की शुरुआत भी है। इस रैली में ममता बनर्जी के साथ उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी भी हुंकार भरेंगे। रैली के जरिए ममता समर्थकों को एकजुट करने का काम करेंगी। पांच साल पहले इसी ऐतिहासिक मैदान पर उत्साहित और मुखर रैली के विपरीत, ‘जन गर्जन सभा’ को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में आशंका का माहौल है।
हालांकि, इसका कारण समझना कठिन नहीं है। क्योंकि, 2019 में न तो राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी सत्ता-विरोधी लहर के दबाव में थी, न ही उसके संकटों का पहाड़ इतना ऊंचा था, जिसमें भ्रष्टाचार के व्यापक आरोप और संदेशखाली का मामला उसके पीछे है। जिससे टीएमसी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है।
अब तक, 2019 के विपरीत किसी भी इंडिया गठबंधन के विपक्षी नेता की रैली में मौजूद रहने की कोई पुष्टि नहीं हुई है। पार्टी अपने स्वयं के प्रमुख चेहरों को सामने ला रही है। जो उत्साह बढ़ाने के लिए मंच पर मौजूद होंगे। इन प्रमुख चेहरों में रिपुन बोरा, सुष्मिता देव, मुकुल संगमा, ललितेश और राजेश त्रिपाठी, कीर्ति आज़ाद, शत्रुघ्न सिन्हा, साकेत गोखले और सागरिका घोष शामिल हैं।
2019 में टीएमसी ने 19 जनवरी को आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू, जद (एस) के एचडी कुमारस्वामी और एचडी सहित लगभग 20 राष्ट्रीय स्तर के विपक्षी नेताओं की उपस्थिति में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी। विपक्ष के समर्थन और स्पष्ट रूप से साझा मोर्चे से उत्साहित होकर टीएमसी सुप्रीमो ने घोषणा की थी कि वो यह बंगाल की धरती है जिसने आजादी से पहले भी रास्ता दिखाया है। पश्चिम बंगाल ने हमेशा नेतृत्व किया है।
हालांकि, लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे टीएमसी के लिए एक झटके के रूप में आए थे, जिसमें बीजेपी को 18 सीटें मिली थीं, जो टीएमसी की सीटों से सिर्फ 4 पीछे थी। बाकी 2 सीटें कांग्रेस को मिली थीं।
जबकि टीएमसी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में भारी जीत के साथ वापसी की थी। हालांकि, संदेशखाली प्रकरण से निपटने के बाद से टीएमसी में लगातार गिरावट देखी जा रही है। जहां इसके बाहुबलियों द्वारा जबरन वसूली से लेकर यौन शोषण तक के आरोप हैं।
राज्य में वामपंथियों के साथ टीएमसी की कड़वी प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए बंगाल में एक छोटे से गठबंधन ने आशा की एक चिंगारी पेश की थी, लेकिन वह भी अब खत्म हो गई है, क्योंकि खुद ममता ने कांग्रेस के वाम दलों के साथ गठबंधन को खारिज कर दिया है। ऐसे परिदृश्य में अन्य क्षेत्रीय दलों द्वारा टीएमसी को समर्थन देने की संभावना शायद ही हो। इस बात को बीजेपी भी जानती है कि ऐसी स्थिति में टीएमसी के साथ शायद ही अब कोई गठबंधन हो।
टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछला लोकसभा चुनाव अलग था। तब हम भ्रष्टाचार के आरोपों से नहीं लड़ रहे थे, न ही कोई संदेशखाली जैसी घटना हुई थी। अभी, हम राजनीतिक रूप से बचाव की मुद्रा में हैं।
इस सवाल पर कि क्या कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहिए था। टीएमसी नेता ने कहा, “हमने महसूस किया है कि जिन सीटों पर कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ेगी, उनके समर्थकों द्वारा हमें वोट देने की संभावना नहीं है। तो, बंगाल में कांग्रेस के साथ गठबंधन क्यों करें, जहां हम नहीं बल्कि वे भाजपा के खिलाफ मुख्य विपक्ष हैं?
राज्य की वित्त मंत्री और महिला टीएमसी अध्यक्ष चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, ”ममता बनर्जी पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि हम लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे। हम बंगाल में भाजपा को हराने के लिए काफी मजबूत हैं। रविवार से आप देखेंगे कि बंगाल भाजपा पर दहाड़ रहा है।”
टीएमसी की रविवार की रैली के बारे में पूछे जाने पर, राज्य के विपक्षी नेताओं ने ममता की “गर्जना (घोषणा)” को खारिज कर दिया। बीजेपी नेता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ”उनका कोई गठबंधन नहीं है। इंडिया ब्लॉक नेट प्रैक्टिस था; यह वास्तविक खेल में परिपक्व नहीं होगा। बाकी मीडिया गपशप है।”
सीपीआई (एम) नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “हमें नहीं पता कि टीएमसी कौन सी रैली आयोजित कर रही है। मैं बस इतना कह सकता हूं कि पुलिस और बीडीओ को रैली के लिए मैदान भरने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।