Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में एक साल से भी कम समय बचा है। लेकिन इसी बीच राज्य की प्रमुख पार्टियां भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। ऐसे में छोटे दल भी पूरे एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं। छोटे दलों ने राज्य में सीटों के बंटवारे और गठबंधन को लेकर बड़े दलों के साथ सौदेबाजी करने के लिए अपने प्रयासों में तेजी लानी शुरू कर दी है।

राज्य में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP), महान दल और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) जैसे दल कुछ विशेष जातियों से समर्थन प्राप्त करते हैं। साथ कुछ क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जो उनके बड़े सहयोगियों को उनके वोट आधार को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं। इसी को लेकर मई माह में बीजेपी ने संकेत दिया था कि वो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ फिर से गठबंधन कर सकती है। सुहेलदेव पार्टी पूर्वी यूपी में विभिन्न गैर-यादव ओबीसी और दलितों में अपने समर्थन का दावा करती है। ऐसे में ओमप्रकाश राजभर के नेतृत्व वाला संगठन कम से कम 12 लोकसभा सीटों में भगवा पार्टी की मदद कर सकता है।

जानिए ओम प्रकाश राजभर की पार्टी ने क्या किया दावा

एसबीएसपी ने दावा किया कि उसने एक सर्वे किया था। जिसमें संकेत मिला था कि वह लगभग 32 लोकसभा सीटों अपना प्रभाव दिखा सकती है। बीजेपी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने 2017 का विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा था। तब ओम प्रकाश राजभर की पार्टी ने चार सीटें जीतीं थी, लेकिन उसी साल दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन टूट गया।

हाल ही में वाराणसी में राजभर के बेटे अरुण की शादी के रिसेप्शन में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित भाजपा के वरिष्ठ नेता और समाजवादी पार्टी (सपा) और रालोद के नेता शामिल हुए थे। उनकी उपस्थिति ने इस बिंदु को रेखांकित किया कि एसबीएसपी अपने चुनावी गठबंधन के लिए कई बातचीत के लिए अपने विकल्प खुले रख रही थी।

महान दल इस बार बसपा के साथ

एक अन्य घटनाक्रम में सपा के साथ गठबंधन में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाले महान दल ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की थी। इसने फर्रुखाबाद, कासगंज, शाहजहांपुर और बदायूं इलाकों में भी अपना अभियान शुरू किया है। दीवारों पर पोस्टर लगाए गए हैं। जिसमें लिखा है- “महान दल ने ठाना है बसपा को जीतना है।”

महान दल के प्रमुख केशव देव मौर्य ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गठबंधन में मेरी उपेक्षा की। मैं विधानसभा चुनाव के बाद गठबंधन से बाहर हो गया। जैसा कि मैं भाजपा को हराने के लिए प्रतिबद्ध हूं, हमारी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में बसपा को समर्थन देने का फैसला किया है।

केशव देव मौर्य ने आगे कहा कि शाक्य, सैनी, कुशवाहा और मौर्य (समुदायों) का मेरा वोट बैंक 2007 तक बसपा का समर्थन करता रहा था। महान दल जल्द ही बसपा के समर्थन में विधानसभा क्षेत्रों में बैठकें करेगा। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अभी तक बसपा के किसी नेता से बात नहीं की है। वहीं मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी का दलितों के बीच एक महत्वपूर्ण आधार है, लेकिन 2024 में अपनी किस्मत को पुनर्जीवित करने के लिए ओबीसी और मुसलमानों के समर्थन की भी आवश्यकता होगी।

2009 और 2014 में महान दल को नहीं मिली थी एक भी सीट

कांग्रेस ने 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में ओबीसी और मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंचने के लिए महान दल के साथ हाथ मिलाया था। हालांकि, इन दोनों चुनावों में महान दल एक भी सीट जीतने में नाकाम रहा। इसने 2019 के चुनावों में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन की घोषणा की, लेकिन बाद में भाजपा को समर्थन दिया।

दूसरी ओर, रालोद का पश्चिमी यूपी में जाट मतदाताओं के बीच एक मजबूत आधार है। आरएलडी सपा की प्रमुख सहयोगी है। यह 2022 के विधानसभा चुनावों में 2.85 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करके आठ सीटें जीती थीं। हाल के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी ने नगर पालिका और नगर पंचायतों में सात-सात सीटें जीतीं।

RLD करेगी 1500 गांवों में जनसभा

सपा ने अभी तक गठबंधन में दरार के संकेत नहीं दिए हैं। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी, हालांकि, चुनाव मोड में हैं। वो वोटों को ध्यान में रखते हुए दलित-मुस्लिम-जाट सम्मेलन के सामाजिक सद्भाव और सामाजिक इंजीनियरिंग पर ध्यान देने के साथ समरसता अभियान कार्यक्रम चला रहे हैं। पार्टी की योजना चुनाव से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 1,500 गांवों में इस तरह की जनसभाएं करने की है। वहीं अन्य छोटे दल भी यूपी में गठबंधन की राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

जनवादी सोशलिस्ट पार्टी और अपना दल (कमरावाड़ी) दोनों उस गठबंधन का हिस्सा थी। जिस गठबंधन को सपा ने 2022 में बनाया था। बिंद और कश्यप समुदाय पूर्वी यूपी के एक दर्जन से अधिक जिलों में बड़ी संख्या है। कुर्मी नेता सोनेलाल पटेल द्वारा स्थापित अपना दल का एक छोटा समूह है। 2022 के यूपी चुनावों में दोनों पार्टियां एक भी सीट जीतने में नाकाम रहीं। पटेल की बेटी पल्लवी पटेल ने सपा के टिकट पर उस साल चुनाव लड़ा और सुरथू में केशव प्रसाद मौर्य को 7,000 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की। उनकी छोटी बहन अनुप्रिया पटेल अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष हैं, जो यूपी और केंद्र दोनों में भाजपा की सहयोगी हैं।

2022 के चुनावों में अपना दल (एस) ने 17 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और उनमें से 15 पर जीत हासिल की। भाजपा और सपा के बाद पार्टी अब राज्य विधानसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है।

निषाद पार्टी के मौजूदा वक्त में 6 विधायक

वहीं भाजपा की एक अन्य सहयोगी निषाद पार्टी के छह विधायक हैं। इसके अध्यक्ष संजय कुमार निषाद योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं। अपना दल (एस) और निषाद पार्टी दोनों को समायोजित करने के लिए भाजपा ने 2022 में 14 सीटों पर अपने मौजूदा विधायकों को टिकट देने से इनकार कर दिया था। भाजपा के सूत्रों ने संकेत दिया कि 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर निषाद पार्टी जल्द ही यूपी में सीटों के बंटवारे के बारे में भाजपा के साथ बातचीत शुरू करेगी।

2022 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने मुस्लिम वोटों में लगाई थी सेंध

छोटी पार्टियों में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) भी है। हैदराबाद स्थित असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2022 के यूपी चुनावों में 95 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, यह 4.5 लाख वोट हासिल करने में कामयाब रही और कई सीटों पर सपा के बड़े गठबंधन में सेंध लगा दी। हाल के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में AIMIM ने नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष की तीन और नगर पंचायत में दो सीटें जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। पार्टी ने 19 नगर निगम पार्षद सीटें भी जीती हैं। AIMIM ने अब तक 2024 के चुनावों के लिए अपनी योजना नहीं बताई है।