Lok Sabha Elections 2024: बिहार में बीजेपी और नीतीश कुमार कैबिनेट 2020 के फॉर्मूले पर कायम रहेंगे। बिहार के मुख्यमंत्री ने पिछले हफ्ते एक दशक में पांचवीं बार पाला बदला और भाजपा के साथ गठबंधन कर नई सरकार बनाई। जिसको नीतीश ने 2022 में छोड़कर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। इस बात की जानकारी सूत्रों ने दी है।

नीतीश कुमार ने रविवार को बीजेपी के दो विधायकों के साथ शपथ ली, जिनको राज्य का डिप्टी सीएम बनाया गया। सूत्रों के अनुसार, जिन्हें बीजेपी ने 72 वर्षीय नेता पर नजर रखने के लिए नियुक्त किया। जिन्हें उनके पाला बदलने के कारण कई लोग पलटू कुमार कहते हैं।

सूत्रों ने बताया कि अगले कुछ दिनों में मंत्रिपरिषद का विस्तार किया जाएगा और उसके बाद विभागों का बंटवारा किया जाएगा। महत्वपूर्ण गृह विभाग नीतीश कुमार के पास रहेगा।

सूत्रों ने संकेत दिया कि आने वाले दिनों में दोनों पक्ष लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर भी चर्चा करेंगे, लेकिन बिहार की 40 संसदीय सीटों के लिए पहले के 17-17 फॉर्मूले में बदलाव करना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि नए सहयोगियों के लिए भी सीटें आवंटित करनी होंगी, जिनमें जीतन राम मांझी की हम भी शामिल है।

सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार ने 13 जनवरी को ही महागठबंधन तोड़कर एनडीए के साथ जाने का मन बना लिया था। इस दिन विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA अलायंस की वर्चुअल मीटिंग हुई थी। मीटिंग में राहुल गांधी ने ऐसा कुछ कहा, जिससे नीतीश कुमार नाराज हो गए थे। नीतीश कुमार को राहुल गांधी की बात इतनी बुरी लगी थी कि वो मीटिंग खत्म होने के 10 मिनट पहले ही उठकर चले गए थे।

सूत्रों ने कहा कि जिस बात ने नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन छोड़ने के लिए मजबूर किया, वो थी राहुल गांधी की इंडिया ब्लॉक के संयोजक पद को लेकर प्रतिक्रिया। राहुल गांधी ने कहा था कि संयोजक पद को लेकर ममता बनर्जी से चर्चा की जाएगी, तब संयोजक का नाम फाइनल होगा। मीटिंग में कुछ देर बाद ही सदस्यों ने को-ऑर्डिनेटर के तौर पर नीतीश कुमार का नाम लिया, लेकिन सूत्रों ने कहा कि नाराज नीतीश कुमार ने यह पद अस्वीकार कर दिया और कहा कि इस पद को लालू यादव को दिया जा सकता है।

वहीं, INDIA अलायंस के चेयरमैन पद के लिए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम पर सहमति बनी है। चेयरमैन के लिए खड़गे के नाम का प्रस्ताव चौथी मीटिंग में ममता बनर्जी ने रखा था। अरविंद केजरीवाल ने इसपर सहमति जताई थी। सूत्रों ने पहले NDTV को बताया था कि नीतीश कुमार के लिए यह दूसरी बड़ी निराशा थी, क्योंकि वह इस पद के लिए अपने नाम के प्रस्ताव की उम्मीद कर रहे थे।