Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच सीट को लेकर सौदा चल रहा है। पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे के गुट में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में बिहार को लेकर एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। इसी का फायदा उठाने के लिए इंडिया गठबंधन ने राजनीतिक शतरंज की बिसात पर एक चाल चली है और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान को राज्य में आठ और उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों की पेशकश की है। सूत्रों ने यह जानकारी NDTV को दी है।

इंडिया गठबंधन का यह प्रस्ताव चिराग पासवान के लिए काफी अच्छा साबित हो सकता है। जिन्हें एनडीए द्वारा बिहार में केवल छह लोकसभा क्षेत्रों की पेशकश की जा रही है। हालांकि, उनके लिए शर्त यह भी है कि इन सीटों को उन्हें अपने और चाचा पशुपति पारस के बीच बांटना होगा। पशुपति पारस के साथ चिराग के अच्छे संबंध नहीं हैं।

सूत्रों ने कहा कि दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन की पेशकश में वे सभी छह सीटें शामिल हैं जिन पर अविभाजित लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने 2019 में चुनाव लड़ा था, और बिहार में दो और उत्तर प्रदेश में दो अतिरिक्त निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में एक डील शामिल है।

बता दें, पार्टी प्रमुख और अनुभवी नेता राम विलास पासवान की मृत्यु के एक साल बाद पारस द्वारा तख्तापलट के बाद 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी दो धड़ों में बंट गई थी।

रामविलास पासवान, पशुपति पारस के भाई और चिराग पासवान के पिता थे। पशुपति पारस को भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए द्वारा कैबिनेट में जगह दिए जाने के बाद, चिराग पासवान ने जनता दल यूनाइटेड और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला किया था। हालांकि, उन्होंने भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने से परहेज किया। जिन्हें उन्होंने पहले अपना राम कहा था और कहा था कि वह उनके हनुमान हैं।

नीतीश कुमार के साथ मतभेदों के कारण 2020 में एनडीए छोड़ने के बाद चिराग पासवान पिछले साल गठबंधन में फिर से शामिल हो गए थे, जब बिहार के मुख्यमंत्री महागठबंधन का हिस्सा थे, जिसमें लालू यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस शामिल हैं। इस साल की शुरुआत में जेडीयू प्रमुख के एनडीए में लौटने के बाद से कथित तौर पर तनाव सतह पर है।

चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र को लेकर भी मतभेद हैं। जबकि पशुपति पारस इस सीट से मौजूदा सांसद हैं। चिराग पासवान ने इस पर दावा करने की मांग की है, क्योंकि यह उनके दिवंगत पिता का पूर्व निर्वाचन क्षेत्र और उनकी “कर्मभूमि” था।