चुनाव आयोग ने हाल ही में लोकसभा चुनाव 2024 में हुए खर्च से संबंधित आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल लोकसभा चुनावों में पंजाब के 13 संसदीय क्षेत्रों में से 12 निर्वाचन क्षेत्र उम्मीदवारों द्वारा किए गए कुल खर्च के मामले में टॉप 50 सीटों में शामिल थे। उम्मीदवारों के कुल खर्च के मामले में टॉप 5 सीटों में से सभी पंजाब में थीं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन पंजाब निर्वाचन क्षेत्रों में खर्च अधिक होने के कई कारण हैं जैसे रियल एस्टेट या शराब जैसे बिजनेस बैकग्राउंड वाले उम्मीदवार या चुनाव मैदान में पार्टियों की अधिक संख्या।

देशभर में विजयी उम्मीदवारों द्वारा घोषित औसत खर्च 57.23 लाख रुपये था। उम्मीदवारों द्वारा कुल खर्च के मामले में, केवल सात राज्यों ने पंजाब से अधिक खर्च किया। सबसे अधिक खर्च करने वाला राज्य महाराष्ट्र था, जिसने 93 करोड़ रुपये खर्च किए जो पंजाब के 42.4 करोड़ रुपये से दोगुने से भी अधिक है।

पंजाब की 12 लोकसभा सीट सबसे अधिक खर्च वाली टॉप 50 सीटों में

फ़रीदकोट, जहां 28 उम्मीदवार मैदान में थे, 4.19 करोड़ रुपये के कुल उम्मीदवार खर्च के साथ सूची में सबसे ऊपर रहा (2019 में, जब खर्च की सीमा 75 लाख रुपये थी, यह पांचवें स्थान पर था)। चुनाव आयोग की व्यय सीमा के अनुसार, प्रत्येक उम्मीदवार 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है, जिसमें केवल 5 उम्मीदवारों ने कुल खर्च का 93.55% हिस्सा खर्च किया। फरीदकोट में राज्य की चार प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच काफ़ी हाई-प्रोफ़ाइल मुक़ाबला देखने को मिला, हालांकि आख़िरकार एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की।

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फरीदकोट सीट पर बेहिसाब खर्च

सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने पंजाबी अभिनेता और गायक करमजीत अनमोल को मैदान में उतारा था जिन्होंने 91.44 लाख रुपए खर्च किए। सूफ़ी गायक और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से पूर्व सांसद भाजपा के हंस राज हंस ने 89.25 लाख रुपए खर्च किए, जबकि शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के राजविंदर सिंह, जो एक पूर्व राज्य मंत्री के पोते हैं, ने 85.06 लाख रुपए खर्च किए। कांग्रेस की अमरजीत कौर ने 84.06 लाख रुपए खर्च किए। अंत में इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने चुनाव जीता। अपने प्रतिद्वंद्वियों से आधे से भी कम 41.95 लाख रुपये खर्च करने के बावजूद खालसा अनमोल को 70,000 से ज़्यादा वोटों से हराने में कामयाब रहे।

क्यों ज्यादा होता है किसी सीट पर खर्च?

पंजाब विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफेसर रोनकी राम ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “ज़्यादा खर्च में कई कारण शामिल होते हैं, निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवार की हिस्सेदारी, मुद्दे और उम्मीदवार या उनके समर्थकों की पृष्ठभूमि। आम तौर पर, ज़्यादा खर्च तब होता है जब उम्मीदवार रियल एस्टेट, शराब या ईंट भट्टों के व्यवसाय में होता है। कई बार, क्षेत्र में उभर रही एक मज़बूत लहर को रोकने के लिए पैसे खर्च किए जाते हैं। फ़रीदकोट में सरबजीत सिंह खालसा के पक्ष में लहर इतनी तेज़ थी कि दूसरों को अपना पैमाना बढ़ाना पड़ा।”

औसतन, 543 लोकसभा सीटों में से प्रत्येक पर 15 उम्मीदवार मैदान में थे लेकिन पंजाब में औसतन हर सीट पर 25 उम्मीदवार थे जबकि तेलंगाना में 31 उम्मीदवार थे। पंजाब में किसी भी सीट पर 15 से कम उम्मीदवार नहीं थे, जिससे पता चलता है कि भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों के कारण खर्च में वृद्धि हुई होगी।

उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने पर भी होता है ज्यादा खर्च

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने इंडियन को बताया, “जब उम्मीदवारों की संख्या बढ़ जाती है तो मुकाबला रोमांचक हो जाता है। इसके अलावा जब सेलिब्रिटी प्रतियोगिता में शामिल होते हैं तो दूसरे भी उनके स्तर की बराबरी करने की कोशिश करते हैं। करमजीत अनमोल और हंस राज हंस इसी श्रेणी में आते हैं।”

पंजाब की इन लोकसभा सीटों पर हुआ सबसे ज्यादा खर्च

फरीदकोट के बाद आनंदपुर साहिब में उम्मीदवारों ने 3.77 करोड़ रुपये खर्च किए जोकि सबसे अधिक है। इसके बाद संगरूर में 3.72 करोड़ रुपये, बठिंडा में 3.68 करोड़ रुपये और पटियाला में 3.54 करोड़ रुपये खर्च हुए। ये सभी शीर्ष पांच में शामिल हैं। इसके बाद लुधियाना जो 3.39 करोड़ रुपये के खर्च के साथ आठवें स्थान पर था, उसके बाद होशियारपुर 3.17 करोड़ रुपये के साथ 11वें स्थान पर, गुरदासपुर 3.11 करोड़ रुपये के साथ 13वें स्थान पर, जालंधर 3.02 करोड़ रुपये के साथ 16वें स्थान पर, अमृतसर 2.93 करोड़ रुपये के साथ 17वें स्थान पर, फिरोजपुर 2.8 करोड़ रुपये के साथ 20वें स्थान पर और फतेहगढ़ साहिब 2.64 करोड़ रुपये के साथ 34वें स्थान पर था। खडूर साहिब पंजाब की एकमात्र सीट थी जो शीर्ष 50 में शामिल नहीं थी। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स