Mission 2024: बिहार के सीएम नीतीश कुमार की 2024 आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकता को लेकर जारी कवायद के बीच ममता बनर्जी ने कहा है कि वह नीतीश कुमार, हेमंत सोरेन और अन्य नेताओं के साथ मिलकर 2024 का चुनाव लड़ेंगी। बंगाल से ही बीजेपी की हार का सिलसिला शुरू होगा।
सीएम ममता ने कहा, “हम एकजुट होंगे। नीतीश, अखिलेश, हेमंत, हम सब हैं, राजनीति एक जंग का मैदान है। हमने 34 साल तक लड़ाई लड़ी है।” टीएमसी नेता ने कहा कि जो लोग 275-300 सीटों पर गर्व कर रहे हैं उन्हें यह याद रखना चाहिए कि राजीव गांधी के पास 400 सीट थी, उन्हें भी संभाल कर नहीं रख पाए।ऐसे में ये जो 300 की बात कर रहे हैं उन्हें इन्हीं 5 राज्यों में 100 सीटों का झटका लग जाएगा।
विपक्षी दलों की एकता की चर्चाओं के बीच अब एक बात तो तय है कि झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्यों की कुल 96 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ेगा। गौरतलब है कि झारखंड में 14, पश्चिम बंगाल में 42 और बिहार में 40 लोकसभा सीट हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन तीन राज्यों- बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 47 सीटें जीती थीं।
सत्ता विरोधी लहर से बीजेपी चिंतित: साल 2024 तक पीएम मोदी को केंद्र की सत्ता में आए दस साल पूरे हो जाएंगे। ऐसे में जानकारों को लगता है कि तब होने वाले चुनाव के दौरान बीजेपी के ख़िलाफ सत्ता विरोधी लहर भी होगी। सत्ता विरोधी लहर और गठबंधन के साथियों का छोड़ कर जाना, इन दोनों वजहों से बीजेपी को पहले के मुकाबले ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
2019 के लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीतीं थीं जबकि अन्य ने 24, वहीं, बिहार में बीजेपी के हाथ 17 सीट आयी थीं, तब जदयू एनडीए का हिस्सा थी। झारखंड में बीजेपी ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी और 3 सीट अन्य के खाते में गयी थी। ऐसे में आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा दोनों राज्यों में 2019 की हारी हुई सीटों को जीतने की कोशिश करेगी।
एकजुट हो रहा है विपक्ष: बीजेपी जहां आने वाले चुनावों में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए बेताब है तो वहीं, विपक्षी खेमा नरेंद्र मोदी को फिर सत्ता में आने से रोकने के लिए एकजुट होने का आह्वान कर रहा है। ममता बनर्जी से लेकर केसीआर और नीतीश कुमार तक बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद कर रहे हैं, जिसके लिए गैर-बीजेपी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की जा रही है।
विपक्षी दलों के सामने भी आसान नहीं चुनौतियां: 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के बाद से ही विपक्षी दल अपने ऊपर हर वक्त लटकती तलवार महसूस कर रहे हैं। कर्नाटक, मध्य प्रदेश से होकर झारखंड तक पहुंचे ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिए बीजेपी अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रही है। बिहार में नीतीश कुमार ने इसी ऑपरेशन लोटस का हवाला देकर एनडीए का साथ छोड़ा था। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि क्षेत्रीय दलों के सफाये का अभियान चल रहा है जिसमें केंद्रीय एजेंसियों की मदद ली जा रही है।
टीएमसी नेता सुखेंदु शेखर राय ने भी कहा था कि विपक्षी दलों ने एकजुट होकर ‘बीजेपी मुक्त भारत’ का अभियान नहीं चलाया तो ‘विपक्ष मुक्त भारत’ करने में बीजेपी को दिन-ब-दिन सफलता मिलती रहेगी। उनका कहना है कि केंद्रीय एजेंसियां और ऑपरेशन लोटस के दो हथियारों से एक-एक कर समूचे विपक्ष का कत्लेआम हो जाएगा।
बंगाल में ममता सरकार: गौरतलब है कि 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर राज्य में सरकार बनायी थी। बीजेपी को इन चुनावों में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। बिहार की अगर बात की जाए तो राज्य में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में NDA 125 सीटों के साथ सत्ता बचाने में कामयाब रहा, लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। पिछली बार के मुकाबले जदयू की 28 सीटें घट गईं थीं और वह 43 सीटों पर आ गई थी। वहीं, भाजपा 21 सीटों के फायदे के साथ 74 सीटों पर पहुंच गई थी। राजद सबसे बड़ा दल बनकर उभरा था, जिसे 75 सीटें मिलीं। उसके नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं। कांग्रेस के खाते में 19 सीटें आई थीं।