Loksabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी दलों के नेता एक नई तलाश में जुट गए हैं। ऐसे में कुछ छोटे दलों के नेता भी अपनी जमीन की फिराक में लगे हुए हैं। इसको लेकर राजनीतिक दलों के नेता जनता को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए रैलियां भी कर रहे हैं। इसी बीच भीम आर्मी प्रमुख और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्र शेखर आजाद भी 26 अगस्त को जयपुर में एक महासभा करने जा रहे हैं। भीम आर्मी महासभा में मुख्य अतिथि बनने के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव को आमंत्रित किया गया है। बता दें, भीम आर्मी चीफ दलितों के मुद्दे पर यूपी में कुछ खास छाप नहीं छोड़ पाए। यही वजह है कि वो अब दलितों के मुद्दों को लेकर एक नई तलाश में जुटे हैं।

तेलंगाना की अपनी मौजूदा यात्रा के दौरान भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद ने केसीआर से मुलाकात की थी। उन्होंने समुदाय के खिलाफ अत्याचार सहित देश में दलित मुद्दों पर लंबी चर्चा की थी। आजाद को बीआरएस सरकार ने हैदराबाद में बीआर अंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा देखने के लिए आमंत्रित किया था। इस दौरान भीम आर्मी चीफ ने तेलंगाना सरकार की प्रमुख योजना “दलित बंधु” की सराहना की थी, जिसके तहत दलित लाभार्थियों को 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है।

भीम आर्मी चीफ ने केसीआर के कार्यों की सराहना की

इस दौरान आजाद ने कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए केसीआर के कोशिशों की प्रशंसा की। उन्होंने दलित समुदाय के कल्याण और विकास के लिए केसीआर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को एक ‘मॉडल’ बताया था। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसे पूरे देश में दोहराया जाएगा। उन्होंने 125 फुट ऊंची अंबेडकर प्रतिमा की स्थापना के अलावा नए तेलंगाना सचिवालय परिसर का नाम अंबेडकर के नाम पर रखने की भी सराहना की।

केसीआर और आज़ाद ने देश में जाति और धर्म के नाम पर सामाजिक भेदभाव और विभाजन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की। भीम आर्मी के संस्थापक ने केसीआर की बेटी, बीआरएस एमएलसी के कविता से भी मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें बताया कि उनकी पार्टी नए संसद भवन का नाम अंबेडकर के नाम पर रखने और वहां अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करने के लिए दबाव बनाने के उनके अभियान के साथ खड़ी रहेगी।

कविता ने कहा कि उन्होंने अपनी-अपनी राजनीतिक नीतियों और तेलंगाना में बहुजनों और दलितों के कल्याण के लिए बीआरएस सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यक्रमों पर चर्चा की। कविता ने आजाद को अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), पिछड़ा वर्ग (बीसी) जैसे कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए केसीआर की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए उनके संघर्ष में बीआरएस के समर्थन का आश्वासन दिया।

आज़ाद ने इस दौरान मणिपुर हिंसा का मुद्दा भी उठाया और देश की सबसे बड़ी हिंसा करारा दिया। उन्होंने मणिपुर संकट के समाधान के लिए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की।

28 जून को आज़ाद एक हमले में बच गए थे, जब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कई हमलावरों ने उन पर गोली चला दी। वह 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए यूपी में गठबंधन के लिए समाजवादी पार्टी (एसपी) और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के साथ बातचीत कर रहे हैं।

इस साल दिसंबर में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने के साथ, केसीआर ने बीसी, एससी और अल्पसंख्यकों सहित अपने विभिन्न समर्थन करने वाले समुदाय तक अपनी पहुंच बढ़ा दी है। उनके लिए कई नई रियायतें और कल्याणकारी योजनाएं पेश की हैं। 23 जुलाई को बीआरएस सरकार ने बीसी के लिए एक नई आर्थिक सहायता योजना एक लाभार्थी के लिए 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता के प्रावधान के साथ मुसलमानों और ईसाइयों के लिए भी बढ़ा दी।

तेलंगाना में 16 फीसदी है दलित आबादी

तेलंगाना की आबादी में दलितों की हिस्सेदारी करीब 16 फीसदी है। अविभाजित आंध्र प्रदेश में दलित समुदाय बड़े पैमाने पर कांग्रेस का समर्थन करता था। हालांकि, 2014 में विभाजन के बाद से तेलंगाना में दलित वोट लगभग पूरी तरह से बीआरएस में ट्रांसफर हो गया है। 2014 के विधानसभा चुनावों में बीआरएस (तब तेलंगाना राष्ट्र समिति) ने राज्य की 14 एससी सीटों में से 10 सीटें जीतीं थी, जबकि कांग्रेस 3 और टीडीपी सिर्फ 1 सीट पर जीत सकी।

2018 के चुनावों में बीआरएस ने 19 एससी सीटों में से 16 पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने 2 और टीडीपी ने 1 सीट जीती थी। पिछले अक्टूबर में हुए मुनुगोडे उपचुनाव में बीआरएस ने आंशिक रूप से दलित वोट के कारण भाजपा को हरा दिया, क्योंकि ‘दलित बंधु’ योजना लागू की गई थी, जो राज्य में बीआरएस के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो रही है।