INDIA vs NDA: स्पीकर के मुद्दे पर टकराव के बाद अब डिप्टी स्पीकर बनाने को लेकर विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने खास रणनीति बनाई है। एनडीए की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की, तो उन्होंने समाजवादी पार्टी के फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद के नाम का प्रस्ताव रख दिया। हालांकि कांग्रेस की प्लानिंग थी कि वह अपना स्पीकर बनाएगी, लेकिन ममता बनर्जी ने एक साथ दो दांव चले हैं।

कांग्रेस के सबसे बड़ी विपक्षी दल के तौर पर सामने आने के बावजूद, टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी चाहती हैं कि डिप्टी स्पीकर गैर-कांग्रेसी हो। भले ही कांग्रेस अभी खुलकर न बोले लेकिन उम्मीद यही की जा रही है कि ममता बनर्जी की इस मांग के सामने इंडिया गठबंधन एकजुट हो ही जाएगा, क्योंकि कांग्रेस अभी भी पूरी तरह से बीजेपी और पीएम मोदी को ही टारगेट पर पर रख रही है।

दलित वोट के चलते विपक्ष का समर्थन

विपक्ष की कोशिश है कि अवधेश प्रसाद को आगे करके न केवल यूपी बल्कि अन्य राज्यों में भी दलित वोटों के लिहाज से फायदा हो। एक खास जाति की पार्टी मानी जाने वाली समाजवादी पार्टी के दलित चेहरे के तौर पर उभरे अवधेश प्रसाद सपा के लिए काफी मायने रखते हैं। वहीं इंडिया गठबंधन के लिए भी दलित वोटों के लिहाज से अवधेश प्रसाद काफी अहम हैं, जो कि अयोध्या की मिल्कीपुर सीट से 9 बार के विधायक रहे थे।

अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के कुछ महीनों बाद फैजाबाद सीट से बीजेपी की हार सपा के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गई है, और पार्टी मिल्कीपुर के उपचुनाव में जीत के लिए पूरा जोर लगाने वाली है। सूत्र बताते हैं कि अवधेश प्रसाद को कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), आप सभी का समर्थन मिल रहा है।

ट्रॉफी की तरह अखिलेश ने रखा है अवधेश से साथ

स्पीकर चुनाव में हार के बाद अब पूरी संभावना है कि विपक्षी दल डिप्टी स्पीकर के मुद्दे पर भी उम्मीदवार उतारेंगे। अवधेश प्रसाद सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के समय के दिग्गज माने जाते हैं। ऐसे में उन्हें अखिलेश यादव पूरा सम्मान दे रहे हैं और अखिलेश आम तौर पर संसद और मीडिया में अपने बराबर का स्थान देते नजर आए हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह भी कहते हैं कि अखिलेश अवधेश प्रसाद को जीत की ट्रॉफी के तौर पर साथ रखते हैं।

BJP के लिए टेंशन

अवधेश प्रसाद का नाम डिप्टी स्पीकर के तौर पर प्रस्तावित कर इंडिया गठबंधन ने बीजेपी को भी बैकफुट पर लाने की कोशिश की है। बीजेपी पिछले दस वर्षों में दलित वोट बैंक को लेकर काफी संजीदा रही है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका यूपी से ही लगा है और माना जा रहा है कि यूपी में बीजेपी को पिछले दस साल में मिला एक बड़े दलित वर्ग का वोट सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर शिफ्ट हो गया। इसकी वजह यह है कि इंडिया गठबंधन ने बीजेपी के खिलाफ संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने का नेरेटिव चलाया था। अब पार्टी के लिए अवधेश प्रसाद का विरोध करना बेहद मुश्किल होने वाला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी-शाह इस चुनौती का कैसे सामना करते हैं।

अयोध्या का नेरेटिव भी करेगा परेशान?

पीएम मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ था। बीजेपी ने पूरे देश में अयोध्या में राम मंदिर बनने का मुद्दा उठाया था, और चुनाव में राम मंदिर का जिक्र किया था, लेकिन फैजाबाद सीट (अयोध्या) पर मिली हार के चलते पार्टी की फजीहत हो रही है। इतना ही नहीं, विपक्ष अब अवधेश प्रसाद को आगे करके अयोध्या के उसी नेरेटिव को काउंटर कर रही है, जो कि अगले 5 साल तक बीजेपी को चुभने वाला मुद्दा है।

एनडीए के लिए मुश्किल

अवधेश प्रसाद का नाम डिप्टी स्पीकर के तौर पर विपक्ष द्वारा प्रस्ताव देना, एनडीए गठबंधन के लिए मुश्किल हो सकता है, क्योंकि वे विपक्ष द्वारा एक बड़े दलित नेता के तौर पर पेश किया जा रहा है। चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी से लेकर जेडीयू, अपना दल समेत टीडीपी तक के लिए दलित एक बड़ा वोट बैंक हैं। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि इस मुद्दे पर एनडीए का रुख क्या होगा, क्योंकि विपक्ष के इस दाव को एनडीए की एकता के बड़े टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है।