EVM-VVPAT Case: चुनाव में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वीवीपैट पर्चियों को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं। हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए। कोर्ट ने ईवीएम के कामकाज से जुड़े कुछ खास पहलुओं पर सवालों के जवाब देने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों को जवाब देने के लिए कोर्ट में बुलाया।
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की जरूरत है क्योंकि इलेक्शन कमीशन की तरफ से जो जवाब दिए गए हैं उनको लेकर अभी कुछ भ्रम की स्थिति है। इसलिए वीवीपैट कैसे काम करता है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चार सवाल पूछे हैं।
कोर्ट ने क्या सवाल उठाए?
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने सवाल किए हैं कि क्या वीवीपैट की कंट्रोलिंग यूनिट में माइक्रोकंट्रोलर लगा हुआ है। क्या किसी प्रोग्राम को माइक्रोकंट्रोलर में केवल एक बार ही फीड किया जा सकता है? आयोग के पास कितने सिंबल लोडिंग इकाइयां मौजूद हैं? चुनाव याचिका दायर करने की सीमा अवधि आपके अनुसार 30 दिन है और स्टोरेज और रिकॉर्ड 45 दिनों तक बनाए रखा जाता है। लेकिन लिमिटेशन डे 45 दिन है, आपको इसे सही करना होगा।
बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने 18 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था। चुनावी प्रणाली में वोटर्स की संतुष्टि और विश्वास के महत्व को मानते हुए कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं से कहा था कि हर बात पर शक नहीं किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने अदालत को बताया था कि ईवीएम स्टैंडअलोन मशीनें हैं और उनके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। हालांकि, उन्होंने मानवीय हस्तक्षेप से मना नहीं किया था।
इलेक्शन कमीशन ने कुछ अच्छा कियो तो उसकी तारीफ होनी चाहिए
जस्टिस दत्ता ने चुनावी पवित्रता पर जोर देते हुए कहा था कि आपको कोर्ट में और कोर्ट के बाहर दोनों जगह आशंकाओं को दूर करना होगा। साथ ही, चुनाव आयोग की दलीलों के बाद कोर्ट ने कहा कि हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता। आप हर चीज की आलोचना नहीं कर सकते। अगर इलेक्शन कमीशन ने कुछ अच्छा किया है, तो आपको इसकी तारीफ करनी चाहिए। आपको हर चीज की आलोचना नहीं करनी चाहिए।
याचिकाओं में क्या दावा?
एडीआर द्वारा याचिका में मांग की गई थी कि ईवीएम में डाले जाने वाले वोट का सौ फीसदी वीवीपैट मशीन के साथ क्रॉस वेरिफिकेशन कराया जाए, ताकि मतदाता को पता चल सके कि उसने सही वोट दिया है। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि दो सरकारी कंपनियों भारत इलेक्ट्रोनिक लिमिटेड और इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के निदेशक भाजपा से जुड़े हुए हैं। एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि 2019 के आम चुनाव के बाद एक संसदीय समिति ने ईवीएम में गड़बड़ी पाई थी, लेकिन चुनाव आयोग ने अभी तक उसे लेकर कोई जवाब नहीं दिया है।