Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस पार्टी ने रायबरेली सीट पर नामांकन के आखिरी दिन राहुल गांधी की उम्मीदवारी का ऐलान किया था। पहले माना जा रहा था कि राहुल गांधी, अमेठी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे लेकिन अंतिम क्षणों में कांग्रेस ने राहुल को रायबरेली से उतारकर एक सरप्राइजिंग फ़ैसला किया। राहुल फिलहाल पूरे देश में घूमकर कांग्रेस के लिए जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। दूसरी और रायबरेली सीट के लिए राहुल के चुनाव प्रचार से पहले उनकी बहन प्रियंका गांधी उनके लिए माहौल तैयार कर रही हैं।
प्रियंका यहां वोटर्स को लुभाने के लिए लगातार छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाओं के जरिए जनसंवाद कर रही हैं। प्रियंका की कोशिश यह है कि राहुल के रायबरेली आने से पहले ही उनके पक्ष में एक राजनीतिक जमीन तैयार की जाए, जिससे राहुल रायबरेली में प्रचार करते हुए देश के अन्य राज्यों की सीटों पर भी अपने सक्रियता जारी रख सकें।
राहुल के लिए तैयार कर रहीं राजनीतिक जमीन
प्रियंका गांधी रायबरेली में नेहरू-गांधी परिवार के 100 साल के संबंधों वाला कार्ड खेलकर एक भावनात्मक संदेश दे रहीं हैं। राहुल के लिए रायबरेली में दो कैंपेन ज्यादा चर्चा में हैं। इसमें एक ‘सेवा के 100 साल’ है, तो दूसरा ‘रायबरेली के राहुल’ रखा गया है। खास बात यह है कि रायबरेली में राहुल के लिए इस बार प्रचार कर रही प्रियंका गांधी पहले इस सीट से चार बार चुनाव लड़ चुकीं अपनी मां सोनिया गांधी के चुनावीं कैंपेन को भी मैनेज करती रहीं हैं।
पिछले दो दिनों में रायबरेली के बछरावां और रायबरेली सदर विधानसभा क्षेत्र में प्रियंका गांधी ने 25 से ज्यादा नुक्कड़ सभाएं की हैं और 7 जनवरी 1921 के मुंशीगंज नरसंहार का जिक्र किया है जिससे नेहरू-गांधी परिवार के रायबरेली से संबंध को एक अहम चुनावी मुद्दा बनाया जा सके।
एक सदी पुराना है नेहरू-गांधी फैमिली का संबंध
इसको लेकर कांग्रेस के एक स्थानीय नेता ने कहा कि रायबरेली के साथ नेहरू-गांधी फैमिली का संबंध अब एक सदी पुराना हो चुका है, जो की मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू के समय से शुरू हुआ था। कांग्रेस नेता ने कहा कि 1921 में पुलिस द्वारा नरसंहार के दौरान किसानों के साथ यह दोनों ही खड़े थे। उस आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों को गोली मार दी गई थी और जवाहरलाल नेहरू को भी किसानों का समर्थन देने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था।
प्रियंका ने इन चुनावों के लिए रायबरेली में पार्टी कार्यकर्ताओं की पहली बैठक के दौरान उस घटना का उल्लेख किया था। बछरावां में उन्होंने कहा था कि हम आप की पुकार सुन के आए… मोतीलाल ने देखा, जवाहरलाल जी ने देखा… आप खींच के लाए… चार पुष्तों से हम आपसे जुड़े हैं। प्रियंका ने इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि गलतियाँ हुईं लेकिन सबक भी सीखा गया, जो रायबरेली से हार गईं लेकिन बाद में जीत गईं। 1952 में भारत के पहले चुनाव के बाद से कांग्रेस ने 72 वर्षों में से 66 वर्षों तक रायबरेली लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी।
क्या है बीजेपी के दिनेश प्रताप का चुनावी कैंपेन?
एक अन्य कांग्रेस नेता ने इस चुनावी कैंपेन को लेकर कहा कि यह बताता है कि कैसे कांग्रेस हमेशा किसानों के साथ खड़ी रही है, न कि अमीरों के साथ। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के चुनावी कैंपेन में यह जिक्र हो रहा है कि कैसे सोनिया गांधी ने रायबरेली छोड़ दी। राहुल ने अमेठी छोड़ दी और राहुल भी रायबरेली कुछ दिन में छोड़कर चले जाएंगे।
यह देखना अहम होगा कि रायबरेली की जनता इस बार राहुल गांधी को अपनाती है, या बीजेपी बाजी मार जाती है, क्योंकि पिछले कुछ चुनावों में भले ही इस सीट से सोनिया गांधी ने जीत हासिल की हो, लेकिन नतीजों पर नजर डालें तो यह दिखता है कि कैसे चुनाव दर चुनाव उनकी जीत का मार्जिन घटा है। बीजेपी के कई नेता तो यह भी आरोप लगाते हैं कि सोनिया गांधी को इस बार अपनी हार का आभास हो गया था, जिसके चलते ही उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और राजस्थान की राज्यसभा सीट के रास्ते संसद जाना बेहतर समझा।