Lok Sabha Chunav 2024: राजस्थान में चंबल नदी के किनारे बसा कोटा देश की शैक्षिक राजधानी बन चुकी है, लेकिन राजनीतिक नक्शे पर भी इसकी अहमियत काफी ज्यादा है। कोटा का लोकसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है। इस बार बीजेपी ने यहां से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को चुनावी दंगल में उतारा है। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने प्रह्लाद गुंजल को टिकट दिया है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चुनाव जीतकर फिर से संसद जाना काफी चुनौती भरा हो सकता है। क्योंकि पिछले कुछ चुनाव के आकड़ों पर नजर डालें तो जो कोई भी लोकसभा स्पीकर बना है वह दोबारा से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद नहीं पहुंच सका है।

जीएमसी बालयोगी

अब सबसे पहले बात करतें है जीएमसी बालयोगी की। अक्टूबर 1999 में जब देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी और अटल बिहार वाजपेयी पीएम थे। तो तेलुगु देशम पार्टी के नेता जीएमसी बालयोगी को लोकसभा का स्पीकर बनाया गया। हालांकि, वे ज्यादा लंबे समय तक स्पीकर के पद पर नहीं रह सके। 3 मार्च 2002 को कैकालुर आंध्र प्रदेश में एक हेलीकॉप्टर हादसे में उनका निधन हो गया।

मनोहर जोशी

जीएमसी बालयोगी के हेलीकॉप्टर हादसे में निधन के बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में शिवसेना के नेता मनोहर जोशी को लोकसभा का स्पीकर चुना गया था। 2 साल 23 दिनों तक स्पीकर रहने के बाद जब साल 2004 में लोकसभा के इलेक्शन हुए तो जोशी मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए। लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। राजनीति में मजबूत पकड़ होने के बावजूद उनकी ये हार अप्रत्याशित थी। इस करारी शिकस्त के बाद करीब दो साल तक वह संसदीय राजनीति से दूर ही रहे। हालांकि, पार्टी ने साल 2006 में उन्हें राज्यसभा के लिए भेज दिया।

सोमनाथ चटर्जी

2004 में एनडीए की सरकार सत्ता से बाहर हो गई। इसके बाद यूपीए की सरकार ने दोबारा से सत्ता में वापसी की। कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह देश के पीएम बने। जब लोकसभा के अध्यक्ष को चुनने की बात आई तो सबकी सहमति से सोमनाथ चटर्जी के नाम को आगे कर दिया गया। सोमनाथ चटर्जी पश्चिम बंगाल की बोलपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे थे। साल 2008 में उनका टकराव उस समय हो गया जब तत्कालीन यूपीए सरकार अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील पर समझौता कर रही थी। सीपीएम ने इस डील का लगातार विरोध किया था। सोमनाथ चटर्जी पार्टी आदेश के खिलाफ डील के समर्थन में थे। 23 जुलाई 2008 को सीपीएम ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया। अगस्त 2008 में उन्होंने ऐलान कर दिया कि सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वे राजनीति को अलविदा कह देंगे।

मीरा कुमार

2009 में यूपीए सरकार ने फिर से सत्ता में वापसी की। मनमोहन सिंह दोबारा से देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने मीरा कुमार को कैबिनेट में मंत्री बनाया। हालांकि, कुछ दिनों के बाद ही उन्हें लोकसभा का स्पीकर चुन लिया गया। 2009 में बिहार के सासाराम से जीतकर आईं मीरा कुमार को देश की पहली महिला स्पीकर और पहली दलित स्पीकर बनने का गौरव हासिल हुआ। 2009 से 2014 तक वे लोकसभा स्पीकर रहीं, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी के छेदी पासवान से हार का सामना करना पड़ा और वह संसद नहीं पहुंच सकीं।

सुमित्रा महाजन

2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की लहर के बाद भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने और इंदौर लोकसभा सीट से लगातार 8 बार चुनाव जीतने वाली सुमित्रा महाजन को सर्वसम्मति से स्पीकर बनाया गया। ताई नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन मीरा कुमार की तरह ही सरल और मृदुल स्वभाव के लिए जानी जाती हैं। जब साल 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट के बंटवारे को लेकर चर्चा की जा रही थी तो उस समय सुमित्रा महाजन की उम्र को देखकर उनके नाम का ऐलान करने में देरी हो रही थी। पार्टी की हिचकिचाहट को देखते हुए सुमित्रा महाजन ने खुद ही लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी।

ओम बिरला फिर से लड़ेंगे चुनाव

2019 में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनी। इस बार भारतीय जनता पार्टी के कोटा सांसद ओम बिरला को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया गया। बीजेपी ने फिर से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ओम बिरला को ही कोटा से टिकट दिया है। उनके सामने बीजेपी से कांग्रेस में शामिल होकर आए प्रहलाद गुंजल से कड़ी टक्कर है। अब तक के आंकड़ों पर नजर डालने के बाद पता चलता है कि संसद तक दोबारा पहुंचना उनके लिए आसान काम नहीं होगा। कोटा की लोकसभा सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा।