Lok Sabha Elections 2024: 18वीं लोकसभा के लिए 19 अप्रैल को 10 सीटों पर पहले चरण का मतदान हुआ है। हैरानी की बात यह रही है दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र के उत्सव पर वोटिंग पिछले चुनाव के मुकाबले भी कम देखने को मिली। पिछले चुनाव के मुकाबले में मतदान 4 प्रतिशत कम हुआ है। वोटिंग में कमी से देश भर के चुनाव अधिकारी चिंतित हैं।
बता दें कि शुक्रवार को देश की 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई थी, जिसमें 16 करोड़ से ज्यादा मतदाता भागीदार थे। वहां लगभग 65.5% मतदान हुआ, जबकि पिछले चुनाव के दौरान यह 70% से कम है। हालांकि अभी तक इसको लेकर अभी चुनाव आयोग ने अभी तक फाइनल डाटा शेयर नहीं किया है।
39 सीटों वाले तमिलनाडु में मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले तीन फीसदी गिरा था। पांच सीटों वाले उत्तराखंड में लगभग छह प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। इसी तरह राजस्थान की 25 में से 12 सीटों पर हुए मतदान में पिछले चुनाव के मुकाबले 6 प्रतिशत कम वोट पड़े हैं।
पहले चरण में होती थी ज्यादा वोटिंग
बात छत्तीसगढ़ की बस्तर सीट की करें तो बस्तर में भी एक परसेंट बढ़ा है। पहली बार वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित बस्तर के 56 गांवों में मतदान हुआ। मेघालय की दो सीटों पर भी मतदान 74 फीसदी हुआ है। लोकसभा चुनावों में मतदान का पहला चरण आम तौर पर बाद के चरणों के लिए रुख तय करता है, जैसा कि पिछले दो संसदीय चुनावों में देखा गया था।
उदाहरण के लिए 2019 में सात चरणों के चुनावों में चरण 1 में सबसे अधिक 69.5% मतदान दर्ज किया गया। इसी तरह, नौ चरणों वाले 2014 के संसदीय चुनावों का पहला चरण सबसे अधिक, लगभग 69% था। निर्वाचन सदन के अधिकारी इसी पैटर्न से चिंतित हैं।
चुनाव अधिकारियों को लगा झटका
आयोग अपनी ओर से, मतदाताओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास किए। 10 से अधिक मशहूर हस्तियों को ब्रांड एंबेसडर बनाने से लेकर जागरूकता फैलाने के लिए बीसीसीआई के साथ मिलकर काम करने तक पर जोर दिया। इसको लेकर लकेर एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी बताते हैं कि हमने कोई कसर नहीं छोड़ी है। इन सबके बावजूद, हमने वोटिंग में गिरावट देखी है, जो कि भले ही चिंताजनक नहीं है लेकिन फिर भी आश्चर्यजनक तो है ही।
क्यों चिंताजनक है आंकड़ा?
सूत्रों के मुताबिक 102 में से लगभग 10 सीटों को छोड़ दें तो लगभग सभी सीटों पर मतदान में कमी देखी गई है। चुनाव आयोग के अनुमान से पता चलता है कि पहले चरण के मतदान में कुल मिलाकर चार प्रतिशत अंकों की गिरावट का मतलब होगा कि पिछली बार की तुलना में लगभग 48 लाख नामांकित मतदाता वोट देने नहीं आए हैं। एक चुनाव अधिकारी ने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि कौन सा आयु वर्ग बड़ी संख्या में नहीं आया; अन्यथा हमारे लिए बाद के चरणों में उन्हें वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना आसान होता।
शादियों की सीजन और गर्मी ने कम कराई वोटिंग?
;चुनाव अधिकारियों ने यह मान है कि गर्मी के चलते वोट प्रतिशत में कमी आई है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में तापमान और बढ़ने की उम्मीद है, यह चुनाव आयोग के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। उन्होंने कहा कि हमने अभी तक यह तय नहीं किया है कि इस पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए, लेकिन हमें बाद के चरणों में मतदाताओं को बाहर आने के लिए प्रोत्साहित करने का एक तरीका निकालना होगा।
चुनाव अधिकारियों ने बातचीत में गर्मी के बढ़ने से लेकर शादियों के सीजन का हवाला दिया और यह अनुमान लगाया कि उन कारणों के चलते ही इस बार वोट प्रतिशत में कमी आई है। उन्होंने आगाह किया कि वे अभी भी यह आकलन कर रहे हैं कि इस कारणों के चलते कितना वोट प्रभावित हुआ है।
बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश राजस्थान जैसे राज्यों में गर्मी वोट प्रतिशत में कमी का एक सबसे बड़ा मुद्दा मानी जा रही है। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इससे कैसे पार पाने में सफल होता है।