Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अमेठी और रायबरेली दोनों ही सीटों पर नामांकन करने का आज आखिरी दिन था। आज ही कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया कि राहुल गांधी रायबरेली सीट से चुनावी मैदान में होंगे और अमेठी से गांधी परिवार के करीबी केएल शर्मा केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी का मुकाबला करेंगे। उम्मीद की जा रही थी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी और राहुल गांधी अमेठी वापस लौटेंगे लेकिन कांग्रेस के फैसले ने सभी को चौंका दिया।

सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी परंपरागत सीट अमेठी छोड़ दी है? भले ही कांग्रेस पार्टी ने गांधी परिवार के करीबी केएल शर्मा को अमेठी लोकसभा सीट से उतारा है लेकिन इसे केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी के लिए एक वॉकओवर के तौर पर देखा जा रहा है।

पिछले लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर एक बड़ा उलटफेर हुआ था। एक तरफ जहां बीजेपी नेता स्मृति इरानी ने अमेठी सीट से राहुल गांधी को हराया था, तो दूसरी ओर कन्नौज लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने सपा नेता और सीटिंग सांसद डिंपल यादव को हरा दिया था। दिलचस्प बात यह है कि डिंपल यादव और राहुल गांधी दोनों ने ही इस बार अपनी लोकसभा सीट बदल दी है।

पिछला चुनाव हारी थीं डिंपल यादव

समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव के राजनीतिक करियर पर गौर करें, तो उन्हें पहले चुनाव में हार मिली थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने फिरोजाबाद और कन्नौज, दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। अखिलेश ने दोनों सीटों पर जीत के बाद फिरोजाबाद सीट छोड़ दी थी। ऐसे में इस सीट पर 2009 में हुए उपचुनावों में डिंपल पहली बार चुनावी मैदान में उतरी थीं लेकिन उन्हें कांग्रेस नेता राज बब्बर से हार का सामना करना पड़ा था।

2019 में सपा के गढ़ कन्नौज से हारीं थीं चुनाव

डिंपल 2009 में हारी थीं, लेकिन 2012 के उपचुनावों में उन्होंने कन्नौज से जीत हासिल की थी। खास बात यह थी कि उन्होंने निर्विरोध जीत दर्ज की थी। कन्नौज सपा का गढ़ माना जाता था। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनावों में भी डिंपल यादव ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। सपा के लिए यह सीट विरासत के तौर पर देखी जाने लगी थी लेकिन सपा के इस किले को बीजेपी ने 2019 में चकनाचूर कर दिया और यहां से बीजेपी नेता सुब्रत पाठक जीते थे।

इस बार है डिंपल यादव की अग्निपरीक्षा

इस बार के चुनाव में सपा ने डिंपल यादव की सीट बदल दी है और उन्हें मैनपुरी सीट से प्रत्याशी बनाया है, जबकि कन्नौज सीट को वापस लेने के लिए खुद अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे हैं। अब डिंपल यादव के लिए चुनौती यह है कि क्या वह यह सीट बचा पाती है या नहीं, क्योंकि यह सीट भी सपा की सेफ सीट मानी जाती है। इस सीट से 2019 में उनके ससुर और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी और उनके निधन के बाद इस सीट से उपचुनाव में डिंपल यादव ने जीत दर्ज की थी।

डिंपल की तरह ही है राहुल की हालत

डिंपल यादव को सपा की विरासत कन्नौज मिली थी लेकिन उन्होंने वह 2019 में गंवा दी थी। इसी तरह राहुल ने भी कांग्रेस की अमेठी की पारिवारिक सियासी विरासत गंवा दी थी। 1999 में सोनिया गांधी ने अमेठी सीट जीती थी और 2004 में उन्होंने यह सीट राहुल गांधी को दे दी थी। राहुल ने 2004, 2009 और 2014 में इस सीट से जीत दर्ज की थी लेकिन इस दौरान जनता से उनका मोह ऐसा भंग हुआ कि राहुल 2019 में स्मृति इरानी से हार गए। ऐसे में अब उम्मीद थी कि इस बार वे अमेठी लौटेंगे तो राहुल रायबरेली से चुनावी मैदान में उतर गए, जो कि सोनिया गांधी के राजस्थान से राज्यसभा जाने के चलते खाली हो गई थी।

अब यह देखना अहम होगा कि राहुल गांधी इस बार रायबरेली और डिंपल यादव मैनपुरी सीट से जीत दर्ज करने में सफल हो पाते हैं या नहीं, क्योंकि दोनों ने ही अपने पुरखों की सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में विफलता हासिल की थी।