Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। इस बार बिहार में भी एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला है। भारतीय जनता पार्टी मोदी कार्ड के जरिये सियासी नौका पार लगाना चाहती है। वहीं, इडिया अलायंस ने लोकतंत्र और संविधान को बचाने के इर्द-गिर्द अपना चुनावी अभियान शुरू किया है। दक्षिण बिहार में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी और यहां के वोटर्स अपनी पसंद बताने के लिए बड़े पैमाने पर जाति को आधार बनाते हैं।
यहां पर पिछड़ा बनाम अगड़े की जाति ढांचे में नहीं समाई हुई है। अब सब कुछ माइक्रो पैटर्न के हिसाब से चलता है जो एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में बदलता रहता है। यहां तक कि कोई भी जाति जनगणना के बारे में बात नहीं करता है। इस पर विपक्ष ने अपना ज्यादा ध्यान केंद्रित किया हुआ है।
बिहार में जाति फैक्टर
जाति के रिवाज को तोड़ने की क्षमता के लिए भारतीय जनता पार्टी ने एक दशक पहले व्यक्तिगत समूहों तक अपनी पहुंच बनानी शुरू की। बीजेपी ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के साथ-साथ बीजेपी के सहयोगी उपेन्द्र कुशवाहा को तवज्जो दी है। इनको कुर्मियों में जेडीयू के नीतीश कुमार के जरिये एक छत्र में लाया गया है। एलजेपी (रामविलास) नेता चिराग पासवान के लिए जगह बनाने के बाद दुसाधों को बीजेपी की तरफ देखा जा रहा है। वहीं, मुसहरों का प्रतिनिधित्व एनडीए के सहयोगी और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी में है।
हालांकि, बीजेपी के कुछ नेता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि स्थानीय आधार पर हो रहे बदलाव और प्रयोगों ने बिहार में लोकसभा इलेक्शन वाले राष्ट्रीय चुनाव को एक स्थानीय मामला बना दिया है। इससे 2019 की एनडीए की 40 में से 39 सीटों को दोहराना मुश्किल हो सकता है। इसके साथ ही जातिगत मोर्चे में दरार भी एक कारण हैं। इस पर भी बीजेपी भरोसा कर रही थी। आरजेडी में भी काफी बदलाव हैं। पूर्व डिप्टी सीएम ने तेजस्वी यादव ने एक नाम गढ़ा है माई बाप।
पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने गढ़ा एक नाम
पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि लोग कहते हैं कि राजद मेरी पार्टी है। लेकिन मैं आपको बता दूं कि हमारे पास MY के साथ BAAP भी है। BAAP का मतलब है ‘बहुजन, अगड़ा (अगड़ी जातियां), आधी आबादी (महिलाएं), और गरीब। हम एक AZ पार्टी हैं।
मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी का मल्लाहों के बीच में अच्छा खासा प्रभाव है और उसका इंडिया अलायंस के साथ आना गठबंधन के लिए बोनस है। साथ ही ओबीसी और दलित समर्थन भी है। इन सभी जातीय जनगणनाओं के बीच में चर्चा में आने वाले एकमात्र नेता नरेंद्र मोदी है। उनका जिक्र भी ऊंची जाति के इर्द-गिर्द घूमती बातचीत के बाद ही आता है। हालांकि, यहां तक कि ओबीसी और दलित जो कहते हैं कि वे भाजपा को वोट देंगे, वे भी उन्हें इसका कारण बताते हैं।
आरजेडी ने कुशवाहा उम्मीदवारों को दिया टिकट
आरजेडी के उम्मीदवारों की एक लिस्ट भी उसके एक नए दृष्टिकोण को दिखाती है। इसमें कई जाति समूहों के नाम शामिल हैं। इन सब पर भारतीय जनता पार्टी की नजर है। उदाहरण के तौर पर देखें तो पार्टी ने जिन 23 सीटों पर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा हैं। उनमें से चार कुशवाहा जाति के हैं। वहीं, बीजेपी बिहार की जिन 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहां पर उन्होंने किसी भी कुशवाहा समुदाय के नेता को टिकट नहीं दिया है।
पहले चरण में औरंगाबाद में अभय कुमार कुशवाहा और नवादा में श्रवण कुशवाहा राजद के कुशवाहा उम्मीदवार हैं। आरजेडी ने गया से एक पासवान उम्मीदवार को टिकट दिया है। उन्होंने यहां पर कुमार सर्वजीत पासवान को मैदान में उतारा है। पार्टी ने इस उम्मीद से उन्हें टिकट दिया है कि वह पासवान के कुछ वोटर्स को अपनी तरफ खींच पाएंगे। बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी गया से पिछले तीन लोकसभा चुनाव हारे हैं। इस बार उन्हें उम्मीद है कि बीजेपी के पारंपरिक ऊंची जाति के वोट उनके अपने मुसहर वोटों और पासवान वोटों के एक बड़े हिस्से के साथ जुड़ जाएंगे।
ऐसा माना जाता है कि गया में पासवान और मुसहर एससी कैटेगरी के दो बड़े ग्रुप हैं। इनकी आबादी लगभग 30 फीसदी के करीब है। हालांकि, जमीनी स्तर पर यह इतना आसान नहीं लगता है। गया में ग्रैंड ट्रंक रोड और डोभी के जंक्शन से सिर्फ एक किलोमीटर दूर पासवान बहुत वकीलगंज गांव में वफादारी उनके सबसे बड़े नेता राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के साथ है।
पासवान वोटबैंक पर चिराग की पकड़
इस गांव के लगभग 48 परिवारों में से लगभग सभी पासवान कैटेगरी के हैं। चिराग की वजह से एनडीए को वोट देने पर सहमति बन पाई है। वहीं, यहां पर चार यादव परिवार आरजेडी को वोट देने के पक्ष में हैं। इस गांव के एक व्यक्ति राम कुमार पासवान ने कहा कि चिराग पासवान देश के नंबर एक नेता हैं। अगर वह एनडीए के साथ हैं तो हम भी हैं।
डोभी के पास एक गांव के कुशवाह मुरारी दांगी ने अपनी राजनीतिक पसंद के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि मैं पीएम मोदी के साथ हूं। उन्होंने बहुत कुछ किया है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत हमें पैसा मिलता है। उन्होंने कहा कि हमें इतना कुछ तो मिल रहा है फिर मुझे किसी और को वोट क्यों देना चाहिए? बिहार की चौथी सीट औरंगाबाद में 19 अप्रैल को मतदान होने पर आरजेडी को अपने कुशवाहा अंकगणित में ज्यादा सफलता मिलती दिख रही है। बीजेपी ने यहां से अपने तीन के बार के सांसद सुशील कुमार सिंह को टिकट दिया है। यह राजपूत समाज से आते हैं। वहीं, आरजेडी ने सीट से अभय कुमार कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारा है।
राजपूत औरंगाबाद में सबसे बड़ी जाति
औरंगाबाद में यादवों के अलावा कुशवाहों की भी अच्छी खासी पैठ है। लेकिन राजपूत सबसे बड़ी जाति है। औरंगाबाद सीट पर कई प्रमुख राजपूत सांसद भी रहे हैं, जिनमें बिहार के पूर्व सीएम सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, उनके बेटे निखिल कुमार और सुशील कुमार सिंह के पिता रामनरेश सिंह शामिल हैं। वहीं, औरंगाबाद में कुशवाह बहुल गौरा गांव और धनु बिगहा में यादवों और कुशवाहा की संख्या काफी अच्छी है।
गौरा गांव के रहने वाले कुशवाहा रमेश मेहता कहते हैं कि सम्राट चौधरी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हैं और पार्टी ने अपने चुनाव चिह्न पर किसी भी कुशवाह उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है। ऐसा क्यों किया गया है। वहीं, एक दूसरे व्यक्ति ने कहा कि उन्हें भाजपा में बड़ा नेता बनने में थोड़ा टाइम लगेगा। एक बीजेपी नेता ने कहा कि कुशवाहा पार्टी के लिए एक ठोस वोट बैंक के रूप में वोट नहीं कर रहे हैं। वे कुशवाहा उम्मीदवारों को वोट दे रहे हैं।
वहीं, नेता इस बात को मानते हैं कि औरंगाबाद पर भारतीय जनता पार्टी की ही जीत होगी। यह सीट हमेशा एक राजपूत के द्वारा जीती जाती रही है। वहां के राजपूतों की आबादी शहर से लेकर गांव तक है। भूमिहार बहुल सीट नवादा में बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर के बेटे विवेक को मैदान में उतारा है। यहां पर भी मुख्य रूप से ऊंची जाति और भूमिहार का वोट हो सकता है। फुलमा गांव के अजय मिश्रा कहते हैं कि हम मोदी के साथ थे और मोदी के साथ ही रहेंगे। उन्होंने 10 साल में दुनिया का सब कुछ हम लोगों को लाकर रख दिया है।