केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के बीच वाकयुद्ध और तेज हो गया है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने पत्र लिखकर राज्य सरकार को कोरोना से निपटने के लिए व्यापक इंतजाम नहीं करने और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों को सही तरीके से लागू नहीं करने पर फटकार लगाई है। बुधवार (06 मई) को केंद्रीय गृह सचिव ने पत्र लिखकर कहा है कि राज्य सरकार ने कोविड-19 की रोकथाम के उपायों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया ताकि कोलकाता एवं हावड़ा के “विशिष्ट इलाकों में विशिष्ट समूहों” को प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के साथ-साथ पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने की अनुमति मिल सके।

पश्चिम बंगाल सरकार को लिखे अपने पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने रिक्शा चलाने वालों, क्रिकेट खेलने वाले बच्चों और लॉकडाउन के उल्लंघन के बीच नदियों में स्नान करने वाले लोगों पर आपत्ति जताई है। भल्ला ने लिखा है कि उनका यह आंकलन दो अंतर मंत्रालयी केंद्रीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर है, जिन्होंने हाल ही में राज्य का दौरा किया था और कोरोना से निपटने के इंतजामों का जायजा लिया था।

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इंटर मिनिस्ट्रियल कमेटी टूर (IMCT) की अगुवाई करने वाले अपर सचिव अपूर्वा चंद्रा ने भी सोमवार को एक पत्र भेजा था जिसमें कोलकाता और हावड़ा में लॉकडाउन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले किसी भी “विशिष्ट समूह” का कोई उल्लेख नहीं किया गया था। हालांकि, अपने दौरे के अंत में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को भेजे पत्र में – जिसे उन्होंने अपनी “अंतिम टिप्पणी” कहा था- चंद्रा ने राज्य के स्वास्थ्य तंत्र में कई कमियों को चिह्नित किया था।

सिन्हा को लिखे पत्र में बुधवार को केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा,”कोलकाता और हावड़ा में लॉकडाउन उल्लंघनों का उल्लेख विशिष्ट क्षेत्रों में विशिष्ट समूहों द्वारा किया गया है, यहां तक कि  पुलिस समेत अन्य ‘कोरोना योद्धाओं’पर हमले की मीडिया रिपोर्ट भी है। इन इलाकों में पुलिस की उपस्थिति बढ़ाकर लॉकडाउन के निर्देशों का सख्ती से पालन करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की उचित देखभाल नहीं करने और क्वारंटीन सुविधाओं की कमी से हालात चिंताजनक हो सकते हैं।”

केंद्र के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, बंगाल में कोरोना से मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी हुई है और यह 13.2 फीसदी पर पहुंच गया है। चंद्रा की रिपोर्ट में यह 12.8% फीसदी थी। गृह मंत्रालय ने कहा है कि यह राज्य सरकार की अक्षमता को उजागर करती है। केंद्र के मुताबिक राज्य में कोरोना मरीजों के टेस्टिंग की रफ्तार जनसंख्या के अनुपात में भी बहुत कम है। केंद्र ने निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं।

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