7 नवंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पीडीपी और बीजेपी की साझा रैली को संबोधित करेंगे तो यह 14 महीने में जम्मू-कश्मीर का उनका चौथा दौरा होगा। मोदी जब भी आए तो कश्मीर में हर किसी को भारी भरकम पैकेज की उम्मीद बनी। लेकिन पीएम ने हर बार सबकी निराशा और राज्य सरकार का गुस्सा ही बढ़ाया। इस बार भी मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने पीएम से राज्य के लिए भारी भरकम पैकेज की उम्मीद लगा रखी है। एक सप्ताह से वह खुद भाजपा महासचिव राम माधव के साथ मिल कर पीएम की रैली को सफल बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
राज्य सरकार को जहां पीएम को पैकेज से उम्मीद है, वहीं यह भी माना जा रहा है कि मोदी अलगाववादियों से बातचीत की पेशकश करेंगे और पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की बात भी करेंगे। सरकार और सीनियर मंत्री पहले ही मोदी की इस यात्रा के ऐतिहासिक होने का दावा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री मुफ्ती के लिए तो पैकेज ही सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि होगी। भाजपा से हाथ मिलाने का अब तक उन्हें कोई खास फायदा नहीं मिला है। खास कर कश्मीर और जम्मू के मुस्लिम बहुल इलाकों में। मुफ्ती आजकल राज्य में जहां भी सभाएं कर रहे हैं वहां मोदी और आरएसएस की तारीफ कर रहे हैं।
पीएम की जहां सभा होगी, वहां से कुछ ही दूरी पर स्थित टीआरसी ग्राउंड में उसी समय अलगाववादी भी रैली करने की योजना बना रहे हैं। उनका ‘मिलियन मार्च’ सफल नहीं हो और पीएम के दौरे में कोई खलल नहीं आए, इस मकसद से तमाम बड़े अलगाववादी नेताओं को पहले ही हिरासत में ले लिया गया है। जिन सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के जरिए ‘मिलियन मार्च’ के लिए अलगाववादियों को बुलाने की कोशिशें हो रही हैं, उन्हें या तो ब्लॉक कर दिया गया है या उन्हें इस्तेमाल करने वालों को कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी जा रही है।
प्रधानमंत्री की यात्रा के मद्देनजर तीन स्तरों का सुरक्षा इंतजाम किया गया है। श्रीनगर को किले में बदल दिया गया है। प्रधानमंत्री के सभास्थल तक जाने वाली सभी सड़कों पर तारबंदी की गई है। अलगाववादियों के असर वाले इलाके में भी सरकार ने खास सुरक्षा इंतजाम किए हैं। जम्मू क्षेत्र में कुछ देर के लिए नेशनल हाईवे को बंद किए जाने का भी प्लान है।
