दिल्ली की एक अदालत ने पिछले सप्ताह कहा कि वह लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के कई सदस्यों तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव के खिलाफ नौकरी के बदले जमीन घोटाले के संबंध में दर्ज धन शोधन मामले में प्रतिदिन सुनवाई करेगी।
बार एंड बेंच की एक खबर के अनुसार, 20 सितंबर को पारित आदेश में विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने कहा कि आरोपियों को केस दस्तावेजों की स्पष्ट प्रतियां देने के मुद्दे को सुलझाने के लिए मामले की रोजाना सुनवाई की जाएगी।
अब इस मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर को कई जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख से मामले को रोजाना सुना जाएगा ताकि आरोपियों द्वारा धारा 207 दंड प्रक्रिया संहिता (Cr.PC) से जुड़ी किसी भी आपत्ति या चिंता का समाधान किया जा सके।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आरोपियों को दिए गए दस्तावेजों की स्पष्ट (पढ़ने योग्य) प्रतियां न मिलने की शिकायत हो, तो उसे जल्दी निपटाने के लिए अदालत ने निर्देश दिया है कि ईडी (ED) के वकील, आरोपियों के वकील और जांच अधिकारी (IO) को अदालत के रिकॉर्ड की मूल प्रति (original record) को अहलमद (अदालत का रिकॉर्ड देखने वाला कर्मचारी) की मौजूदगी में देखने की अनुमति होगी।
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जज गोगने ने यह आदेश उस समय दिया जब उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की दूसरी पूरक शिकायत (चार्जशीट) पर समन जारी किया। इस चार्जशीट में सात और लोगों को आरोपी बनाया गया है।
कब का है मामला?
ईडी (ED) के अनुसार, 2004 से 2009 के बीच जब लालू प्रसाद यादव रेलवे मंत्री थे। उस दौरान भारतीय रेल में ग्रुप-डी की नौकरियों के लिए चुने गए लोगों से कहा गया कि वे बदले में अपनी जमीन लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों या उनसे जुड़े लोगों/संस्थाओं के नाम पर ट्रांसफर करें।
एजेंसी का कहना है कि पटना, दिल्ली और गाजियाबाद में कई जमीनों के टुकड़े बहुत कम दामों पर या नाममात्र की कीमत पर हासिल किए गए। ईडी (ED) के अनुसार, ये जमीनें बाद में यादव परिवार के अलग-अलग सदस्यों – राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के नाम पर आ गईं। एजेंसी का दावा है कि यह सब अपराध से अर्जित संपत्ति (proceeds of crime) है।
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