जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने मंगलवार को कर्नाटक में कांग्रेस नीत सरकार पर बेंगलुरु में विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक के लिए 30 आईएएस अधिकारियों को तैनात करके राज्य में आईएएस बंधुआ मजदूरी नीति शुरू करने का आरोप लगाया। ध्यान रहे कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने की रणनीति बनाने के लिए विपक्षी दलों के नेता बेंगलुरु में बैठक कर रहे हैं।
कर्नाटक के पूर्व सीएम ने कई ट्वीट कर कहा कि आईएएस अधिकारी राज्य की क्षमता के प्रतीक हैं। इन अधिकारियों को राजनेताओं की सेवा के लिए द्वारपाल के रूप में तैनात करना हास्यास्पद है। कुमारस्वामी ने एक ट्वीट में बैठक में हिस्सा लेने वाले नेताओं की मेजबानी के लिए तैनात आईएएस अधिकारियों के नामों की सूची साझा करते हुए आरोप लगाया कि गठबंधन बनाकर सत्ता हासिल करने के लालच में कांग्रेस ने कर्नाटक के गौरव, विरासत और आत्मसम्मान का अंतिम संस्कार कर दिया है।
कुमारस्वामी बोले- ये कोई सरकारी कार्यक्रम तो नहीं
कुमारस्वामी ने कहा कि अपने गठबंधन नेताओं की सेवा के लिए आईएएस अधिकारियों को तैनात कर कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने गलत किया है। क्या कथनी और करनी में अंतर न होने का उनका यही मतलब है? जद (एस) नेता ने कहा कि यह न तो राज्य सरकार का कार्यक्रम है, न ही नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह। यह सिर्फ एक राजनीतिक बैठक है। अपने गठबंधन के नेताओं की मेजबानी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को नियुक्त करना राज्य के 6.5 करोड़ कन्नड़ लोगों का अपमान है।
एकता के आह्वान के साथ 26 विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने के उद्देश्य से अपने संयुक्त कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए सोमवार को बेंगलुरु में महत्वपूर्ण विचार-विमर्श शुरू किया। इसमें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, टीएमसी चीफ ममता बनर्जी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, जनता दल (यूनाइटेड) नेता नीतीश कुमार, आप चीफ अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राजद प्रमुख लालू प्रसाद शामिल हुए।