कुलभूषण जाधव मामले में देश को पाक के खिलाफ गुरुवार को बड़ी जीत मिली। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की जेल में बंद जाधव की फांसी पर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने रोक लगा दी है। ऐसे में कहना गलत न होगा कि वाकई में कानून की जीत हुई है। लेकिन इस मामले में असली नायक कोई और ही है। जी हां, सही सुना आपने। हरीश साल्वे ही वह शख्स हैं, जो जाधव के लिए संकटमोचक बनकर उभरे हैं। देश के नामी-गिरामी वकीलों में उनकी गिनती होती है। फीस के रूप में एक रुपये लेकर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में उन्होंने देश का पक्ष रखा।

चारों तरफ हो रहे हो-हल्ले के बीच साल्वे को सरकार ने जाधव के बचाव के लिए बधाई दी है। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस बाबत ट्वीट किया और साल्वे के प्रति आभार प्रकट किया। साल्वे कांग्रेस के कार्यकाल में मंत्री रहे एनकेपी साल्वे के बेटे हैं। साल 2015 में उनकी एक सुनवाई की फीस छह से 15 लाख रुपये तक होती थी। देश के सात धांसू वकीलों पर आधारित इंदु भान की किताब ‘लीगल ईगल्स’ में भी इस बात की पुष्टि होती है। आज हम आपको साल्वे की जिंदगी के कुछ ऐसे ही रोचक और अनकहे पहलुओं से रूबरू कराने जा रहे हैं।

Legal Eagles: Book on Story of Seven Lawyers written by Indu Bhan
देश के जाने-माने सात वकीलों की कहानी पर लीगल ईगल्स नाम की यह किता इंदु भान ने लिखी है.

अर्देशर पालखीवाला के कहने पर की कानून की पढ़ाई
‘लीगल ईगल्स’ के मुताबिक बचपन से ही साल्वे की चाहत इंजीनियर बनने की थी। कॉलेज पहुंचे तो सीए में इंटरेस्ट पनपा, लेकिन यहां कोई खास कामयाबी नहीं मिली। दो बार फेल हुए। फिर मशहूर वकील अर्देशर पालखीवाला की सलाह पर कानून का ककहरा जाना-समझा।

Defence Lawyer Harish Salve saves kulbhusan jadhav in international court

पिता की मदद को लड़ा था दिलीप कुमार का केस
साल्वे को कानूनी करियर में पिता के संपर्कों का खासा लाभ मिला। यही वह रास्ता था, जहां वह नानी पालखीवाला से मिले थे। उसी दौरान दिलीप कुमार उर्फ लीजेंड्री खान पर कालाधन रखने के आरोप लगे। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने चिट्ठी भेजी और हर्जाने की मांग की। यहीं से उन्होंने अपने करियर का खाता खोला। तब वह अपने पिता का केस में हाथ बंटा रहे थे।

Harish Salve Faught Veteran Actor Dilip Kumar Case
फिल्म एक्टर दिलीप कुमार पर कालाधन रखने के कथित तौर पर आरोप लगे थे. साल्वे के करियर का यह पहला केस था.

सुनवाई के दौरान जिरह से होती थी घबराहट
बकौल साल्वे, मैं कोर्ट में दिलीप कुमार का वकील था। इनकम टैक्स की अपील खारिज करने में जजों को 45 सेकेंड लगे। दिलीप फैमिली फ्रेंड थे। वह बेहद खुश हुए। मुझे बहस करनी पड़ती, तो कोर्ट में मेरी आवाज न निकलती। अच्छा था कि कोर्ट ने जिरह के लिए नहीं बोला।

तो यूं थपथपाई गई थी पीठ
किताब में आगे बताया गया है कि वकालत की दुनिया में साल्वे ने यूं ही नहीं अपने नाम का लोहा मनवाया। सरकार जब बेयरर बांड्स लाई थी, तब उन्होंने वरिष्ठ सोराबजी से सलाह-मशविरा कर उस फैसले के खिलाफ अर्जी दी थी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच मामले को सुन रही थी। साल्वे का नंबर आया, तो लड़खड़ाते हुए उन्होंने शुरुआत की। उसी दौरान जस्टिस भगवती बोले, आपने दूसरे को तीन दिन तक सुना। ये नौजवान भी अच्छी दलीलें दे रहा है। ये जब तक चाहे, इसे अपनी बात रखने दी जाए।

टाटा, महिंद्रा और अंबानी के लिए भी लड़े केस
साल था 1992। साल्वे को दिल्ली होईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट बना दिया था। फिर क्या था। थोड़ा नाम हुआ तो टाटा, महिंद्रा और अंबानी सरीखे देश के बड़े बिजनेस घरानों के लिए कोर्ट में केस लड़े। केजी बेसिन गैस मामले, भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड केस और नीरा राडिया टेप से जुड़े एक मामले में वह कइयों की पैरवी कर चुके हैं।

देश के जाने-माने वकील हरीश साल्वे कुलभूषण जाधव से पहले कोर्ट में टाटा, महिंद्रा और अंबानी सरीखे कॉरपोरेट घरानों की पैरवी कर चुके हैं

ऐसे बने टॉक ऑफ दि टाउन
वकालत की दुनिया में साल्वे ठीक-ठाक नाम कमा चुके थे। अब बारी थी उनके टॉक ऑफ दि टाउन बनने की। वोडाफोन पर इसी दौरान 14,200 करोड़ की कथित टैक्स चोरी की आरोप था। इस मामले में साल्वे ने कंपनी को जीत दिलाई।

पालखीवाला की फोटो से लेते थे प्रेरणा
साल्वे की इस केस में सफलता के पीछे का कारण वह खुद बताते हैं। उनकी मानें तो इस मामले की तैयारी के लिए वह अपने पास पालखीवाला की फोटो रखते थे। उसी से उन्हें प्रेरणा मिलती थी।

Harish Salve use to keep palhiwala's photo with him
कम ही लोग जानते हैं कि साल्वे अपने पास पालखीवाला की फोटो रखते थे. कठिन दौर में वह उसी से प्रेरणा लिया करते थे.

गुजरात दंगा केसः जब कोर्ट बोला- हमें साल्वे की विश्वसनीयत पर यकीन है
गुजरात दंगा केस में सुप्रीम कोर्ट ने साल्वे को एमीकस क्यूरी चुना था। यानी अदालती मित्र। जनहित के केसों में वे न्याय दिलाने में कोर्ट की सहायता करते हैं। तब कुछ दंगा पीड़ितों ने उनपर जनता के हित के खिलाफ काम करने के आरोप लगाए। यही नहीं, जाने-माने वकील प्रशांत भूषण और कामिनी जायसवाल का आरोप था कि दंगा मामले में एमीक्स क्यूरी होने के बाद भी साल्वे ने दागी पुलिसकर्मयों को बचाया। कोर्ट ने यह आरोप खारिज कर कहा था, हमें साल्वे की निष्पक्षता पर यकीन है।