बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पूरी सरकार, एनडीए और बीजेपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ताकतवर और अहम चेहरा हैं। यह बात तब और पुख्ता हुई, जब मंत्री पद के अनुभव के बावजूद उन्हें पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। शाह को मोदी 2.0 में गृह मंत्री बनाया गया। ऐसे में वह सरकार के साथ ही देश में भी पीएम के बाद सबसे शक्तिशाली सियासी नाम माने जा रहे हैं। ये हैं इसके पीछे के आठ संकेत और वजहेंः  

1- सरकार में पहले तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवाल दूसरे सबसे अहम और ताकतवर शख्स माने जाते थे। पीएम मोदी के निर्देश पर वह हाल ही में नए गृह मंत्री शाह से मिले, जिन्हें सरकार में नंबर-2 कहा जा रहा है।

2- सोमवार (तीन जून, 2019) को डोवाल आंतरिक सुरक्षा पर हुई बैठक में शामिल हुए, जो कि शाह द्वारा बुलाई गई थी। गृह मंत्री की अध्यक्षता वाली इस बैठक में आईबी निदेशक राजीव जैन, रॉ चीफ अनिल धस्माना और गृह सचिव राजीव गौबा मौजूद रहे। बाद में दोपहर को शाह ने डोवाल को फिर से मिलने के लिए बुलाया था।

3- गृह मंत्री को अब राष्ट्रीय सुरक्षा पर रोजाना इंटेलिजेंस एजेंसियां सीधे ब्रीफिंग देती हैं। पर पहले ऐसा नहीं था। ये ब्रीफिंग्स मुख्यतः पीएम मोदी को दी जाती थीं, जबकि साथ में पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह को इस बारे में बताया जाता था। राजनाथ तब ऐसे मसलों पर सीधे तौर पर निर्णायक की भूमिका में नहीं होते थे।

4- नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के डीजी एससी झा की भी शाह से हाल में भेंट हुई थी। इससे पहले तक एनटीआरओ केवल एनएसए को ब्रीफिंग देता था, मगर सुरक्षा के मसलों पर अब गृह मंत्री से भी वह अहम जानकारियां साझा करता है।

5- रॉ चीफ भी तीन जून, 2019 को शाह से मिले। पीएमओ के निर्देश पर बैठक में उन्होंने गृह मंत्री को सरहदी इलाकों की स्थिति के बारे में बताया। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय ऑपरेशंस के बारे में भी जानकारी दी थी। शाह इसके साथ ही संसद के बजट सत्र से पहले और बाद सरहदी इलाकों का दौरा करेंगे।

6- गृह मंत्री कैबिनेट नियुक्ति समिति का सदस्य होता है, जबकि इसके अध्यक्ष पीएम होते हैं। ऐसे में मोदी-शाह की जोड़ी आठ हजार आईएएस, आईपीएस और अन्य सेवाओं के अधिकारियों को संभालने में अहम भूमिका निभाएगी।

7- पीएम ने इसके अलावा अमित शाह को एक और अहम काम भी सौंपा है, जिसके तहत गृह मंत्री को सभी एजेंसियों से संपर्क में रहना पड़ता है। शाह को इस दौरान उनकी कार्यशैली और फैसलों पर नजर भी रखनी पड़ती है।

8- पांच जून को बनी आठ कैबिनेट समितियों में पहली बार कोई मंत्री बने शाह को शामिल किया गया। आठ में से छह समितियों के अध्यक्ष खुद पीएम होंगे। शाह को सभी आठ समितियों में रखा गया, जबकि राजनाथ को सिर्फ छह समितियों में शामिल किया गया।