केरल का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर लगेगा कि कोई फिल्म की कहानी चल रही है। हत्या की एक दोषी महिला 27 साल बाद पुलिस के शिकंजे में आई है। दिलचस्प बात ये है कि हत्या के बाद उसने अपना जुर्म भी कबूल लिया था और आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी गई, लेकिन कोर्ट के फैसले के अगले ही दिन वह भाग गई। अब एक अलग पहचान के साथ पुलिस के शिकंजे में आई है। इन 27 सालों में कहां रही, क्या किया, कैसे पुलिस को चकमा देती रही और कैसे रेजी से मिनी बन गई उसकी ये कहानी भी काफी दिलचस्प है।
मालकिन के घर में चोरी के बाद कर दी थी हत्या
रेजी केरल के अलपुझा जिले के मनकमकुझी गांव में अपनी एक दूर की रिश्तेदार मरियम्मा के घर पर रहती थी और घर के काम करती थी। मरियम्मा अपने पति कुझिपराम्बिल थेक्केथिल पप्पचन के साथ रहती थीं और उनके तीनों बच्चे घर से दूर रहते थे। 21 फरवरी, 1990 को उनके घर पर चोरी हो गई और सोने के आभूषण लूट लिए। इस घटना में मरियम्मा की भी मौत हो गई। जब पुलिस ने जांच की तो शक रेजी पर गया क्योंकि घटना से कुछ दिन पहले ही मरियम्मा और उनके पति ने उसे घर से निकाल दिया था और जिस दिन यह घटना हुई, रेजी को उस दिन घर से निकलते हुए देखा गया था। जांच में पुलिस ने रेजी के घर से चोरी हुए आभूषण भी बरामद किए थे और रेजी ने भी हत्या की बात कबूल ली।
सजा सुनाए जाने के अगले ही दिन हो गई थी फरार
इसके बाद एडिशनल कोर्ट में मामला पहुंचा तो रेजी को बेनिफिट ऑफ डाउट देते हुए बरी कर दिया गया, लेकिन अभियोग पक्ष ने केरल हाई कोर्ट में अपील की और रेजी को आजीवन कारावस की सजा सुनाई गई। जब किसी ने रेजी को बताया कि उसे उम्रकैद हुई है तो वह अगले ही दिन वहां से फरार हो गई। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब तक पुलिस के पास कोर्ट का ऑर्डर पहुंचा, तब तक वह भाग चुकी थी। इसके बाद उसकी तलाश शुरू हुई, लेकिन पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला क्योंकि पुलिस के पास उसके पुराने पते और कुछ तस्वीरों के अलावा ज्यादा जानकारी नहीं थी।
27 सालों में ऐसे बन गई रेजी से मिनी
इन 27 सालों में रेजी ना तो किसी रिश्तेदार के संपर्क में रही और ना ही सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म में शामिल हुई। 1996 में सजा सुनाए जाने के बाद वह कोट्टयम चली गई और घरों में काम करना शुरू कर दिया और अपनी पहचान बदलकर मिनी बन गई। 1999 में उसने तमिलनाडु के कंस्ट्रक्शन वर्कर से शादी कर ली और केरल के एर्नाकुलम के पल्लारीमंगलम गांव में शिफ्ट हो गई। अब उसके दो बेटे हैं, जिनमें से एक रक्षा बल की ट्रेनिंग ले रहा है और दूसरा बेटा विदेश में पढ़ाई कर रहा है। वहीं, रेजी खुद एक टेक्सटाइल की दुकान में सेल्सगर्ल के तौर पर काम करती है।
ऐसे रेजी तक पहुंची पुलिस
चेनगान्नुर के डिप्टी पुलिस सुपरीटेंडेंट एम के बीनुकुमार ने कहा कि केरल के अलावा, तमिलनाडु, दिल्ली और आंध्र प्रदेश में भी उसकी तलाश की गई, लेकिन रेजी का कोई सुराग नहीं मिला। कुछ लोगों को लग रहा था कि वो मुंबई में है, तो कुछ लोग मान चुके थे कि कोरोना महामारी में वह मर गई है। इसके लिए कोरोना पीड़ितों और वैक्सीन लगवाने वालों का डाटा भी चेक किया गया। 6 महीने पहले ट्रायल कोर्ट ने फिर से पुलिस को रेजी को पकड़ने का आदेश दिया, तो फिर से उसकी तलाश शुरू की गई। पुलिस ने पुराने रिकॉर्ड छानने शुरू किए और स्थानीय लोगों और रिश्तेदारों से भी पूछताछ की गई। इससे पुलिस को शक हुआ कि रेजी कोट्टयम में हो सकती है।
पुलिस उसकी तलाश में उसी दुकान तक पहुंच गई, जहां वह काम करती थी। पुलिसकर्मी लोकल ग्राहक बनकर दुकान पर गए और उससे नाम पूछा तो उसने अपना नाम मिनी बताया। जब एक पुलिसकर्मी ने उसको कहा कि वह रेजी है तो वह चौंक गई, लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके बाद पुलिस ने उसको पकड़ लिया और अब वह तिरुवनंतपुरम की सेंट्रल जेल में बंद है।
मरियम्मा के पति पप्पाचन की 7 साल पहले 94 साल की उम्र में मौत हो गई थी। उनके सबसे बड़े बेटे केई योहान्नन ने बताया कि रेजी उनकी दूर की रिश्तेदार है और उनकी मां रेजी को काफी अच्छे से रखती थीं। हालांकि, वह यह बात नहीं जानते हैं कि उनकी मां ने रेजी को किस वजह से घर से निकाल दिया था।