कर्नाटक में गुरुवार को हिंदू संगठनों के कुछ कार्यकर्ताओं ने एक स्कूल में जबरन घुसकर वहां उत्पात मचाया। इस दौरान दक्षिणपंथी समूहों के कार्यकर्ताओं ने स्कूल में मनाए जा रहे क्रिसमस कार्यक्रम को भी रोक दिया और स्कूल प्रशासन से पूछा कि आखिर हमारे त्यौहार क्यों नहीं मनाते।

दरअसल यह मामला कर्नाटक के मांड्या जिले के निर्मला इंग्लिश हाई स्कूल का है। जहां गुरुवार को क्रिसमस का कार्यक्रम मनाया जा रहा था। इस दौरान दक्षिणपंथी समूह के कुछ कार्यकर्ता जबरन स्कूल में घुस गए और स्कूल प्रबंधन से पूछताछ करने लगे। दक्षिणपंथी समूह द्वारा स्कूल प्रबंधन से सवाल जवाब किए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। 

वायरल वीडियो में दक्षिणपंथी समूह का कुछ कार्यकर्ता स्कूल प्रबंधन से सवाल पूछता है कि आखिर स्कूल में हिंदू त्यौहार क्यों नहीं मनाया जाता है। वीडियो में एक पुरुष कार्यकर्ता यह कहता हुआ भी दिखाई दे रहा है कि हम इसका निर्णय बच्चों के माता पिता पर छोड़ते हैं। अगर हम इसे अपने हाथों में लेंगे तो स्थिति काफी अलग होगी।

निर्मला हाईस्कूल की प्रिंसिपल कनिका फ्रांसिस ने इस घटना को लेकर समाचार चैनल एनडीटीवी को बताया कि हम हर साल क्रिसमस समारोह का आयोजन करते हैं। लेकिन कोरोना के कारण हमने इसे नहीं मनाने का फैसला किया। लेकिन छात्रों के आग्रह पर हमने एक छोटा कार्यक्रम आयोजित किया। छात्रों ने ही कार्यक्रम के लिए स्वेच्छा से पैसे जमा किए और केक का आर्डर दिया। जिस पर एक माता पिता ने आपत्ति जताई।

आपत्ति जताने वाले माता पिता ने ही इसकी सूचना स्थानीय हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं को दी और कहा कि स्कूल में ईसाई धर्म का प्रचार किया जा रहा है। यहां क्रिसमस मनाया जाता है लेकिन हिंदू त्यौहार नहीं मनाया जाता है। जिसके बाद हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने स्कूल में घुसकर क्रिसमस कार्यक्रम को रोक दिया और उत्पात मचाया। साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हमें स्कूल में गणेश चतुर्थी मनाने के लिए कहा है और स्कूल में सरस्वती की तस्वीर लगाने की बात भी कही है। स्कूल प्रबंधन ने इस मामले में शिकायत करने का फैसला किया है। 

गौरतलब है इससे पहले दक्षिणी कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर जिले में एक चर्च में तोड़फोड़ की घटना सामने आई थी। अराजक तत्वों ने चर्च में लगी सेंट एंथोनी की स्टैच्यू तोड़ दी। ज्ञात हो कि गुरुवार को कर्नाटक विधानसभा में भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए धर्मांतरण विरोधी विधेयक को मंजूरी दे दी गई है। इस विधेयक में धर्मान्तरण के मामले में 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ तीन से पांच साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है।