कारगिल युद्ध को 25 साल पूरे हो चुके हैं। शुक्रवार को देश 26वां कारगिल विजय दिवस मनाएगा। कारगिल युद्ध के दौरान ग्रुप कैप्टन नचिकेता राव (तब फ्लाइट लेफ्टिनेंट) प्लेन क्रैश होने के बाद पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा बंदी बना लिए गए थे। कारगिल विजय दिवस से पहले उन्होंने अंग्रेजी न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत में वो पूरी घटना बताई, जब प्लेन क्रैश होने के बाद वो पाकिस्तानियों द्वारा पकड़े गए।

उन्होंने कहा, “पच्चीस साल काफी लंबा समय होता है लेकिन आज भी मेरे दिमाग में उस शख्स की आखें और चेहरा क्लियर है। उसने अपनी AK-47 की नली मेरे मुंह में डाल दी। मैं उसकी ट्रिगर उंगली को देख रहा था, क्या वह ट्रिगर खींचेगा या नहीं?”

रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन के. नचिकेता राव कारगिल युद्ध के दौरान एक फाइटर पायलट थे। युद्ध के दौरान उनके MiG-27 एयरक्रॉफ्ट का इंजन फेल हो गया, जिस कारण उन्हें अपने प्लेन से इजेक्ट करना पड़ा। जैसे ही वो नीचे पहुंचे, उन्हें पाकिस्तान फोर्स ने बंदी बना लिया और जब तक वो भारतीय प्रशासन के हवाले नहीं किए गए, तब तक उनका टॉर्चर किया जाता रहा।

एनडीटीवी न्यूज चैनल से बातचीत में के. नचिकेता राव ने बताया कि उन्होंने उस दिन श्रीनगर से तीन अन्य पायलट्स के साथ उड़ान भरी थी। उन्होंने बताया, “हम श्रीनगर से उड़ान भरी… और हमारा टारगेट मुंथु ढालो नामक स्थान था। वहां दुश्मन का एक बहुत बड़ा लॉजिस्टिक हब था। मैं और मेरे लीडर, हम रॉकेट फायर कर रहे थे। रॉकेट हमले के बाद, मेरा इंजन फेल हो गया।”

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उन्होंने बताया कि इजेक्ट करने के बाद उन्होंने अपने प्लेन को क्रैश होते भी देखा। वो बताते हैं कि उस समय वो पंद्रह हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे थे। हालांकि इसके बाद जो हुआ उन्होंने खुद कभी इसकी कल्पना नहीं की होगी। उन्होंने बताया जब वो नीचे आए तो चारों तरफ बर्फ थी और उनके पास सिर्फ एक छोटी पिस्टल और 16 राउंड थे। 

उन्होंने बताया कि लैंड करने के बाद उन्हें नहीं पता था कि वो कहां हैं। एनडीटीवी से बातचीत में वो कहते हैं, “मैं अपने साथ गोपनीय जानकारी छिपा रहा था और स्थिति को समझने की कोशिश कर रहा था। मुझे बहुत सारी फायरिंग की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह मेरी तरफ की जा रही है या नहीं। इसलिए मैं कुछ पत्थरों के पीछे छिपने के लिए भागा। फिर मैंने पांच-छह सैनिकों को देखा। तब तक, यह क्लियर हो गया था कि मैं उस क्षेत्र में नहीं था जहां हमारे सैनिक कैंप कर रहे थे। मैंने अपनी पिस्तौल से गोली चलाई, लेकिन आठ राउंड बहुत जल्दी खत्म हो गए। इससे पहले कि मैं दूसरी मैगज़ीन लोड कर पाता, उनमें से एक मेरे पास पहुंच गया।”

उन्होंने आगे बताया कि कुछ ही क्षणों में उनमें से एक ने अपनी AK-47 की नली उनके मुंह में डाल दी। वो कहते हैं, “मैं ट्रिगर पर उसकी उंगली देख रहा था कि वो हिलाएगा या नहीं। उस प्लाटून के इंचार्ज एक आर्मी कैप्टन थे। उन्होंने उसे रोक दिया।” नचिकेता बताते हैं कि पाकिस्तानी आर्मी के कैप्टन अपने साथी को यह समझाने में सफल रहे कि भारतीय पायलट सिर्फ सैनिक के तौर पर अपनी ड्यूटी कर रहा है। इसके बाद बाद उन्हें बंदी बना लिया गया।

उस समय नचिकेता को नहीं पता था कहां हैं वो

नचिकेता ने एनडीटीवी को बताया कि उस समय उन्हें अपनी लोकेशन नहीं पता थी लेकिन कुछ साल बाद जब वो उसी एरिया में एक आर्मी हेलीकॉप्टर में लौटे तो उन्होंने पाया कि वह कैंप एलओसी के छह किलोमीटर भारतीय हिस्से में था। उन्होंने कहा कि इजेक्शन की वजह से उनकी पीठ में दर्द हो रहा था और ठंड उनके जूतों में घुस रही थी। वो कहते हैं, “मैं उस कैप्टन के लिए व्यक्तिगत स्तर पर बहुत सम्मान रखता हूं। उन्होंने मुझे अपने सैनिकों से बचाया और मुझे प्राथमिक उपचार दिया।”

उन्होंने आगे बताया, “जब हमारी आर्मी ने ये एरिया वापस लिया और जमीन का ये पूरा हिस्सा हमें फिर वापस मिला तो वह आर्मी ऑफिसर मारा गया। मुझे यह इसलिए पता चला क्योंकि मुझे हमारी आर्मी के खुफिया सूत्रों से उनकी डायरी का एक हिस्सा मिला। जिस तरह से उन्होंने मेरे साथ व्यवहार किया, उनके लिए मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है।”

बंदी बनाए जाने के बाद कहां ले जाए गए नचिकेता

बंदी बनाने के बाद नचिकेता को कैंप ले जाया गया है। वहां से वो एक हेलीकॉप्टर में स्कर्दू ले जाए गए, जहां उनसे नरम पूछताछ की गई। इसके 24 घंटे बाद उन्हें C130 एयरक्रॉफ्ट से इस्लामाबाद ले जाया गया और फिर रावलपिंडी शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद उन्हें ISI की स्पेशलिस्ट सेल को सौंप दिया गया। हालांकि आठ दिन बाद उन्हें इंटरनेशनल प्रेशर में पाकिस्तान ने भारत को सौंप दिया।