पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सरकार पर देश की सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाया है। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह जासूसी चुनाव जीतने के लिए कराई गई है। कांग्रेस पार्टी ने भी पेगासस जासूसी विवाद को लेकर मंगलवार को सरकार पर हमला बोला और मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराए जाने की मांग की है।
कपिल सिब्बल ने मंगलवार की शाम पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्रियों, राजनेताओं, न्यायाधीशों और लोगों के फोन पर जासूसी करना देश के कई कानूनों का उल्लंघन है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। कहा कि 2019 में जैसे ही खबर आई कि कर्नाटक कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के नेताओं की जासूसी की जा सकती थी। राज्य की गठबंधन सरकार गिर गई। उन्होंने कहा कि “हमारा संविधान कहता है कि सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन क्या होगा अगर हमारी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दे?”
उन्होंने पूछा, “अगर यह डेटा अन्य देशों तक पहुंच जाता है, अगर एनएसओ प्रौद्योगिकी के जानकार इसे एक्सेस कर लेते है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा। अभी तो केवल एक सूची आई है, संभव है कि आने वाले दिनों में यह पता चले कि उनके पास कई अन्य लोगों के फोन टैप हों, अन्य लोगों को भी इंटरसेप्ट किया हो।”
उन्होंने कहा कि इस तरह की जासूसी कई स्तरों पर अवैध है। यह कई साइबर कानूनों का उल्लंघन कर सकता है, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, निजता का मौलिक अधिकार और यहां तक कि पीछा करने के रूप में गिना जा सकता है।
कपिल सिब्बल ने पूछा, “यदि आपने किसी मंत्री के फोन में मैलवेयर डाला है और उसे इंटरसेप्ट किया है, तो यह आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन है … यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का उल्लंघन है। और यदि आप किसी महिला के साथ ऐसा कर रहे हैं, तो यह आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 354डी के तहत उल्लंघन है। इसे पीछा करना कहा जाएगा। यह निजता के अधिकार का भी उल्लंघन है।”