कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एकमत वाले विपक्षी दलों को साथ लाने के पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के प्रयास की सराहना की। लेकिन साथ ही उनसे अपनी पार्टी को भी मजबूत बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि इसके बगैर विपक्ष की एकता संभव नहीं है। सिब्बल ने जी-23 के नेताओं पार्टी में सुधार की मांग पहले की तरह से कायम है।
सिब्बल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष को साथ लाने की कोशिश की है। लेकिन सुधार का हमारा एजेंडा जारी रहेगा और हम कांग्रेस को मजबूत बनाने का प्रयास करते रहेंगे। कांग्रेस में फिर से जान फूंकने के लिए वह और पार्टी में उनके साथी हरसंभव सहयोग करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर वह सोनिया गांधी के रास्ते में आते हैं तो वह उन्हें बाहर का रास्ता दिखा सकती हैं, लेकिन वह कांग्रेस को विपक्षी एकता का चेहरा बनाने के लिए उसे मजबूत करने का काम जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा- अगर मैं एकजुटता के रास्ते में आड़े आ रहा हूं, तो कोई बात नहीं। यह मेरे या उन 23 नेताओं के बारे में नहीं है। आप मुझे और अन्य को बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं, लेकिन कांग्रेस को मजबूत बनाएं।
सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस फिर से उठ खड़ी होकर मजबूत नहीं बनी तो विपक्ष की एकजुटता का यह कदम विफल होगा। पार्टी में सुधार नहीं होने को लेकर चिंता जताते हुए सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस में फिलहाल कोई स्थायी राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं है। यह पार्टी का कर्तव्य है कि उसके पास स्थायी निर्वाचित पदाधिकारी हों।
सिब्बल ने ये बातें उस वक्त कही हैं जब 20 अगस्त को सोनिया गांधी और विपक्ष के अन्य नेताओं की वर्चुअल बैठक होनी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के बैठक में भाग लेने की संभावना है।
कांग्रेस के शीर्ष 23 नेताओं ने पिछले साल अगस्त के महीने में चिट्ठी लिखकर हंगामा खड़ा कर दिया था। जी-23 कहे जाने वालों में शामिल गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने चिट्ठी प्रकरण के बाद भी पार्टी नेतृत्व से चुभते सवाल पूछने बंद नहीं किए। वो लगातार पार्टी आलाकमान के फैसले नाखुश थे।