मध्य प्रदेश में सियासी उठा-पटक का दौर जारी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया आज भाजपा में शामिल होंगे। हालांकि इसमें हो रही देरी से कई कयास लगने शुरू हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार, बेंगलुरू गए 19 विधायकों में से 10 विधायक और दो मंत्री भाजपा में जाने के लिए तैयार नहीं हैं। विधायकों का कहना है कि ‘हम महाराज (ज्योतिरादित्य सिंधिया) के लिए आए थे, बीजेपी में जाने के लिए नहीं।’

भाजपा में शामिल ना होने के इच्छुक कांग्रेस के बागी विधायक सिंधिया द्वारा नई पार्टी का गठन करने की मांग कर रहे हैं। सिंधिया समर्थकों का मानना है कि महाराज के कद को देखते हुए उनका किसी दूसरी पार्टी में जाने के बजाय नई पार्टी बनाना ज्यादा मुफीद है। बीते दिनों भी सिंधिया द्वारा नई पार्टी का गठन करने का मामला चर्चा में आया था।

बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और अब वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं। सिंधिया के इस्तीफे के साथ ही कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है। इनमें से 19 विधायक बेंगलुरू के एक होटल में ठहरे हुए हैं।

विधायकों के इस्तीफे से कमलनाथ सरकार के अल्पमत में जाने का संकट पैदा हो गया है। हालांकि कमलनाथ का दावा है कि सभी विधायक साथ हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। कांग्रेस ने अपने बाकी विधायकों को फिलहाल जयपुर शिफ्ट कर दिया है। भाजपा विधायक भी शिवराज सिंह चौहान के साथ दिल्ली के नजदीक मानेसर होटल में ठहरे हुए हैं।

सिंधिया लंबे समय से पार्टी में हो रही अपनी कथित उपेक्षा से नाराज चल रहे थे। मध्य प्रदेश चुनाव के दौरान कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रचार की कमान सौंपी थीं। भाजपा ने भी चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से सिंधिया पर निशाना साधा था, उससे चुनाव सिंधिया बनाम भाजपा लग रहा था। इसके चलते ही चर्चाएं थीं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर सिंधिया को सीएम बनाया जा सकता है। हालांकि पार्टी ने यह जिम्मेदारी कमलनाथ को सौंपी।

इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए भी सिंधिया की अनदेखी हुई। सिंधिया ने जब सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा नहीं करने पर सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की बात की थी, तो सीएम कमलनाथ ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया था। यही वजह मानी जा रही है कि सिंधिया का कांग्रेस से मोहभंग हुआ और आखिरकार उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।