Madhya Pradesh Government Crisis: कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। होली के दिन करीब 12 बजे सिंधिया ने ट्विटर से कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता छोड़ने का ऐलान किया। इसके महज 20 मिनट बाद ही कांग्रेस ने भी सिंधिया पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया। कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश मे जारी राजनीतिक उठापटक के बीच सिंधिया ने अचानक यह फैसला लिया। हालांकि, ऐसा नहीं है। सिंधिया पिछले काफी समय से कांग्रेस आलाकमान से नाराज बताए जा रहे थे। नवंबर 2019 में सिंधिया ने अपने ट्विटर हैंडल का बायो बदल दिया था। उन्होंने बायो से पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री जैसे पदों का जिक्र हटाते हुए खुद को समाजसेवी और क्रिकेट प्रेमी बताया था। तब भी अफवाहें उड़ी थीं कि सिंधिया कांग्रेस छोड़ सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ज्योतिरादित्य की बुआ यशोधरा राजे पिछले काफी समय से उन्हें कांग्रेस से अपने रिश्तों के बारे में सोचने के लिए कह रही थीं। इसके चलते 45 दिनों पहले ही ज्योतिरादित्य पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संपर्क में आए। यहीं से सिंधिया के वफादार विधायकों समेत कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने की पटकथा लिखी गई।
कांग्रेस छोड़ने की बात नकारते रहे सिंधिया: ट्विटर से कांग्रेस की जानकारी हटाने के बाद भी सिंधिया ने पार्टी छोड़ने की बात नकार दी थी। उन्होंने खुद आगे आकर इन बातों को अफवाह करार दिया था। एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा था कि लोगों की सलाह पर मैंने अपना बायो छोटा किया है। यह बदलाव करीब एक महीने पहले ही किया गया था।
Jyotiraditya Scindia to ANI, on no mention of Congress party in his Twitter bio: A month back I had changed my bio on Twitter. On people’s advice I had made my bio shorter. Rumours regarding this are baseless. pic.twitter.com/63LAw9SIvb
— ANI (@ANI) November 25, 2019
चार महीने पहले भी आई थीं राज्य सरकार से नाराजगी की खबरेंः दरअसल, सिंधिया चंबल इलाके में आई बाढ़ के बाद वहां रहने वालों से गांव-गांव जाकर मिले थे। बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र भी लिखे थे। इसमें उन्होंने प्रदेश की खराब सड़कों की मरम्मत की भी मांग की थी। बताया गया था कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इनमें से किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया था। बताया जाता है कि इसी से नाराज हो कर सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। हालांकि मुलाकात के बाद उनकी तरफ से कहा गया कि बाढ़ग्रस्त मध्य प्रदेश के संदर्भ में बातचीत करने गए थे।
मध्य प्रदेश में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हाशिए पर चले गए थे सिंधिया: मध्य प्रदेश में कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलने के बाद कमलनाथ (Kamal Nath) और सिंधिया में से मुख्यमंत्री का नाम फाइनल करने के लिए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को खासी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। जब कमल नाथ का नाम फाइनल हुआ तो सिंधिया खेमे ने विरोध भी किया। सरकार बनने के ठीक बाद शिवराज सिंह से सिंधिया की मुलाकात की खबर सामने आई थी। इसके बाद सिंधिया खेमे के माने जाने वाले मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने लगातार दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के खिलाफ बयान दिए।