Justice Verma News In Hindi: जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उनके घर के बाहर भी अधजले नोट मिले हैं, उन नोटों के बंडल ने फिर उन पर कई सवाल उठा दिए हैं। असल में जब एनडीएमसी की टीम रविवार सुबह उनके घर के बाहर पहुंची तो सफाई के दौरान जले हुए नोट के अवशेष मिल गए। वायरल वीडियो को देख पता चला कि वो 500 के जले हुए नोट थे। उन नोट्स के मिलने के बाद से ही फिर विवाद शुरू हो गया।

जस्टिस वर्मा के खिलाफ बैठी जांच

इस मामले में सीजेआई संजीव खन्ना ने कड़ा रुख अपनाते हुए जांच बैठा दी है, तीन सदस्यों की एक टीम का गठन किया गया है। इसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट ने एक जस्टिस वर्मा के घर का एक वीडियो भी जारी किया है, उस वीडियो में नोटों का पूरा बंडल दिखाई पड़ रहा है। यह अलग बात है कि जस्टिस वर्मा ने इस पूरी घटना को ही एक साजिश बता दिया है, उन नोटों से अपना कोई नाता नहीं बताया है।

पूरा विवाद यहां समझें

जानकारी के लिए बता दें कि 14 मार्च की रात लगभग 11.35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद फायरब्रिगेड कर्मचारी आग बुझाने पहुंचे थे। इस दौरान वहां कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी। उस नकदी के बाद ही सवाल उठे थे कि इतना पैसा जस्टिस वर्मा के पास कहां से आया। तब दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का प्रस्ताव भी रख दिया था। लेकिन अभी के लिए मामले की जांच जारी है, नोटों की गुत्थी सुलझाने की कोशिश हो रही है।

कौन हैं यशवंत वर्मा?

यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी, 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम ऑनर्स की डिग्री ली थी, इसके बाद रीवा विश्वविद्यालय से उन्होंने लॉ में ही अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। 8 अगस्त, 1992 को वे एक एडवोकेट के रूप में नामांकित हुए थे, कहा जा सकता है कि कानून की दुनिया में उनका डेब्यू हुआ था। यशवंत वर्मा के करियर को अगर समझा जाए तो उन्होंने सबसे ज्यादा संवैधानिक, इंडस्ट्रियल विवाद, कॉर्पोरेट, टैक्सेशन, पर्यावरण जैसे केस लड़े हैं। लंबे समय तक वे इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील के रूप में भी काम कर चुके हैं।

2012 से 2013 तक यशवंत ने यूपी के मुख्य स्थायी वकील के रूप में भी काम किया, फिर वे एक सीनियर एडवोकेट के रूम में नामित हो गए। उन्हें अगला बड़ा प्रमोशन 13 अक्टूबर 2014 को तब मिला जब वे एडिशनल जज बन गए। इसके बाद 1 फरवरी 2016 को उन्हें परमानेंट जज के रूप में काम करने का मौका मिला, उन्होंने शपथ ली। साल 2021 में उनका दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया। उनके बारे में और जनने के लिए जनसत्ता की इस खबर का रुख करें