हरियाणा में कांग्रेस के राज में गुड़गांव में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी सहित कुछ कंपनियों को भूमि लाइसेंस देने के मामले में जांच के लिए बनाए गए न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा आयोग ने अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए छह सप्ताह का समय और मांगा है। अयोग का कार्यकाल गुरुवार को खत्म हो रहा था। लेकिन इससे कुछ घंटे पहले ही अयोग ने और वक्त मांगा। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा कि उन्होंने एक व्यक्ति से मिले कुछ दस्तावेजों का अध्ययन करने के लिए और वक्त मांगा है। इन दस्तावेजों में कहा गया है कि ये लाइसेंस प्रदान करने से लाभ पाने वालों के बेनामी लेनदेन के दस्तावेज हैं। हरियाणा सरकार पहले दो बार ढींगरा आयोग का कार्यकाल बढ़ा चुकी है। राज्य की भाजपा सरकार ने पिछले साल दिसंबर में आयोग के कार्यकाल को छह महीने के लिए बढ़ा दिया था और इस साल 17 जून को इसके कार्यकाल को 30 जून तक के लिए बढ़ा दिया गया था।
पहले खबरों में कहा गया था कि आयोग की रिपोर्ट तैयार है जिसमें रॉबर्ट वाड्रा के स्वामित्व वाली कंपनी मैसर्स स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी और रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच जमीन सौदे के दाखिल खारिज के बारे में जानकारी होगी। 58 करोड़ रुपए का सौदा गुड़गांव के शिकोहपुर गांव में साढ़े तीन एकड़ जमीन से जुड़ा है जो वाड्रा ने डीएलएफ को बेची थी। अक्तूबर, 2012 में वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अशोक खेमका ने स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी और डीएलएफ के बीच जमीन सौदे के दाखिल खारिज को रद्द कर दिया था। इसमें कम कीमत में जमीन खरीद कर ज्यादा में बेचने के आरोप लगे और विवाद खड़ा हो गया।
आयोग के कार्यकाल विस्तार का अनुरोध ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा ने हरियाणा सरकार से अपने पक्ष में कुछ मांग की है जो उन्हें इस मामले में कोई फैसला या रिपोर्ट देने के लिहाज से अक्षम और अनुपयुक्त बनाती है।