कांग्रेस की स्टूडेंट विंग NSUI के नेता पर 1 साल का बैन लगाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्विद्यालय को कड़ी फटकार लगाई है। विवि के फैसले को देखने के बाद अदालत ने फटकार लगाते हुए पूछा कि दिमाग कहां था। आदेश देते समय इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस पुरुशैंद्रा कुमार कौरव ने दिल्ली विवि को तीन दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने NSUI के नेशनल सेक्रेट्री की उस याचिका पर ये आदेश दिया जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी BBC Documentary विवि के भीतर दिखाने के लिए 1 साल के लिए उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। आदेश में कहा गया था कि लोकेश चुघ एक साल तक दिल्ली विवि या उसके तहत आने वाले किसी भी कॉलेज में कोई भी परीक्षा नहीं दे सकेगा। लोकेश विवि के एंथ्रोपॉलोजी विभाग में पीएचडी का छात्र है।
जस्टिस बोले- अब आप हमारे सामने, हम करेंगे आपके अधिकारों की रक्षा
एडवोकेट मोहिंदर रूपल ने लोकेश के केस की पैरवी करते हुए जस्टिस कौरव से अपील की कि थीसिस जमा कराने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल है। लिहाजा हाईकोर्ट उसके मामले की तुरंत सुनवाई करे। जस्टिस कौरव ने कहा कि याचिकाकर्ता अब कोर्ट के सामने है। उसके अधिकारों की रक्षा करना अब अदालत का दायित्व है। हाईकोर्ट ने विवि से जवाब तलब करते हुए सोमवार को मामले की सुनवाई तय की।
लोकेश चुघ का दावा- जब स्क्रीनिंग हुई तब वो मीडिया से बात कर रहा था
याचिका के मुताबिक 27 जनवरी 2023 को डीयू कैंपस में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था। उसके बाद कैंपस में बीबीसी डाक्यूमेंट्री “India: The Modi Question” की भी स्क्रीनिंग की गई। चुघ का कहना है कि जब स्क्रीनिंग हुई तब वो मीडिया से बात कर रहा था। पुलिस ने डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया। विवि का मौहाल बिगाड़ने के आरोपों में उन पर केस भी हुआ। याचिका में कहा गया है कि लोकेश चुघ उन छात्रों में शामिल नहीं था जिनके खिलाफ पुलिस ने एक्शन लिया था।
लोकेश चुघ का कहना है कि 16 फरवरी को डीयू प्रशासन ने उसे शोकॉज नोटिस जारी किया और फिर 10 मार्च को परीक्षाओं में उसकी एंट्री बैन करने को लेकर आदेश जारी कर दिया गया। उसकी हाईकोर्ट से अपील थी कि वो विवि के आदेश पर तत्काल प्रभाव से स्टे लगाए।
