सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक डीके पाठक ने कहा है कि पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम का उल्लंघन कर सीमा पार से की जाने वाली अकारण गोलीबारी का बल ने समुचित जबाब देकर देशवासियों के भरोसे को मजबूत किया है। बीएसएफ ने पाकिस्तान को यह साफ संदेश दिया है कि बल शांति के लिए प्रतिब़़द्ध है, किंतु दवाब के तहत नहीं। वे शुक्रवार को बीएसएफ की स्थापना के 50 साल पूरे होने पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से आतंकवादी हताशा भरी और दुस्साहसपूर्ण घुसपैठ की कोशिशें कर रहे हैं। पिछले साल की गई ऐसी कोशिशों की संख्या 48 से बढ़ कर इस साल 62 हो गई है। पाठक ने कहा कि पश्चिमी मोर्चे पर सीमा पार से गोलीबारी में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिसका लक्ष्य व्यापक रूप से आतंकवादियों को देश के अंदर भेजने का रहा है। बीएसएफ प्रमुख ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इस साल अब तक घुसपैठ की कोशिशों की संख्या 62 बताई। यह सीमा रेखा जम्मू क्षेत्र में अखनूर से लेकर गुजरात के कच्छ तक है।

पिछले साल यह आंकड़ा 48 था। हालांकि, पाठक ने दावा किया कि घुसपैठ की सफल कोशिशों की संख्या शून्य है। पर इस साल बीएसएफ के लिए उस वक्त शर्मिंदगी भरा समय रहा, जब आतंकवादी संगठनों के आत्मघाती दस्ते जम्मू के कठुआ क्षेत्र में और पंजाब के गुरदासपुर में घुसने में सफल रहे और नागरिकों और पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया। 20 मार्च को दो आतंकवादी कठुआ सीमा से घुसे थे और एक पुलिस थाने पर हमला कर तीन पुलिसकर्मियों और दो नागरिकों की हत्या कर दी थी। इसके अगले दिन सेना के एक शिविर पर दो अन्य आतंकवादियों ने धावा बोलने की नाकाम कोशिश की थी। आठ साल बाद 27 मार्च को पंजाब में एक आतंकी हमला हुआ था। तीन आतंकवादी गुरदासपुर इलाके से घुसे थे और एक पुलिस थाने पर हमला कर एक पुलिस अधीक्षक सहित चार पुलिसकर्मियों और तीन नागरिकों को मार डाला था।
बीएसएफ के ढाई लाख जवानों का नेतृत्व कर रहे पाठक ने आतंकी संगठन आइएसआइएस और कुछ अन्य सैन्य संगठनों के बीच समन्वय पर चिंता जाहिर की। लेकिन कहा कि उनके जवान इनके नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए सभी संभव कदम उठा रहे हैं। पाठक ने कहा कि पश्चिमी पड़ोसी देश ने हमारे समक्ष जो कुछ भी चुनौती पेश की है, उसका बहुत प्रभावी तरीके से जवाब दिया गया है। उन्होंने कहा कि सीमा पार से गोलीबारी में काफी वृद्धि हुई है। उस दौरान घुसपैठ की कोशिशें की गईं।
इस अवसर पर उन्होंने बल का लेखा-जोखा भी पेश किया। उन्होंने बताया कि इस बल को अब तक 4000 से भी अधिक पदकों से सम्मानित किया गया है। राष्ट्र की सेवा में रत सीमा सुरक्षा बल इस साल एक दिसंबर को अपनी स्थापना के 50 साल पूरे कर रहा है। इस ऐतिहासिक पड़ाव को चिर स्मरणीय बनाने के उद्देष्य से इस अवसर को यह बल स्वर्ण जयंती के रूप में मना रहा है। इस बाबत सीमा सुरक्षा बल ने दिनांक 12 अक्तूबर से 25 नवंबर तक ‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ हिमालय’ अभियान आयोजित किया।

उन्होंने बताया कि 1965 में 25 बटालियनों से गठित इस बल के पास आज 186 बटालियनें और ढाई लाख से भी ज्यादा सीमा प्रहरी हैं। यह बल भारत-पाक और भारत-बांग्लादेश की करीब सात हजार किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का रक्षक है। यह बल करीब 4439 किलोमीटर लंबी सीमाओं की सतर्क निगरानी पर तारों की बाड़ की सहायता से करता है। पिछले दशक के दौरान इस बल ने सात हजार करोड़ से भी अधिक रुपए का प्रतिबंधित सामान जब्त किया है। अपनी 1882 थलीय और 18 जलीय सीमा चौकियों के माध्यम से यह बल सीमा प्रबंधन के अपने दायित्वों को पूरा करता है।

पाठक ने बताया कि बीएसएफ को अब तक एक महावीर चक्र, एक अति विशिष्ट सेवा पदक, 11 वीर चक्र, चार कीर्ति चक्र, 12 शौर्य चक्र, 231 राष्ट्रपति पुलिस पदक, 864 पुलिस पदक, 56 सेना पदक और 12 विशिष्ट सेवा प्रदान भी शामिल हैं। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े आतंकवाद रोधी अभियानों, माओवादियों के खिलाफ संघर्षों समेत आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों की भी जानकारी दी। उन्होंने दावा किया कि सीमा सुुरक्षा बल ने अपने 50 साल के सफर में हर प्रकार के दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया है और कठिन से कठिन चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब दिया है। इस अवसर पर उन्होंने भारत-पाकिस्तान सीमा और भारत-बांग्लादेश सीमा पर बल की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इसमें अवैध घुसपैठ, मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, जाली भारतीय मुद्रा की तस्करी समेत अन्य तस्करियों को रोकने के बाबत उठाए गए कदम प्रमुख हैं।