केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को आरोप लगाते हुए कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले में कांग्रेस के कुछ लोग शामिल थे। बता दें कि इस हमले में बस्तर क्षेत्र में साल 2014 के विधानसभा चुनावी दौरे के दौरान कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मारे गए थे।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर जांजगीर चंपा जिले में आयोजित जनसभा ‘जनादेश परब’ में जेपी नड्डा ने कहा, “छत्तीसगढ़ में पार्टी प्रभारी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने झीराम घाटी की घटना देखी।
कांग्रेस के लोगों पर लगाए आरोप
आगे उन्होंने कहा, “मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं झीराम घाटी के घटना की जानकारी किसी और ने नहीं बल्कि उन्हीं लोगों (कांग्रेसी) ने दी थी जो अपनी लोगों को मरवाना चाहते थे, वे नक्सलियों के संपर्क में थे। अगर रक्षक ही भक्षक बन जाए तो आम जनता का क्या होगा?”
इस दौरान नड्डा ने किसी को नाम नहीं लिया और न ही कथित साजिश के बारे में अधिक बात की।
पीएम मोदी और अमित शाह की तारीफ की
जेपी नड्डा ने साय सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों के विषय पर बात करते हुए पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को राज्य से नक्सलियों से छुटकारा दिलाने का श्रेय दिया।
दो सालों में 503 नक्सलवादी मारे गए
जानकारी दे दें कि राज्य में पिछले दो वर्षों में 503 से अधिक नक्सलवादी मारे गए हैं। इस साल 284 माओवादी मारे गए, जिनमें से 255 बस्तर क्षेत्र के थे। वहीं पिछले साल राज्य में 219 माओवादी मारे गए थे, जिनमें से 217 बस्तर क्षेत्र में मारे गए थे।
2500 नक्सलियों ने सरेंडर किया
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “पिछले दो सालों में करीब 2500 नक्सलियों ने सरेंडर किया है, इनमें 1853 को गिरफ्तार किया गया और हिदमा और बसवराजु जैसे खूंखार टॉप नक्सलियों को खत्म किया गया।
झीराम घाटी की क्या थी घटना?
बस्तर जिले में 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन रैली के दौरान कांग्रेस नेताओं के काफिले में हमला कर दिया था, जिसमें तत्कालीन राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व विपक्ष नेता महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला समेत 32 लोग मारे गए थे।
वहीं इस जनलेवा हमले में विधायक कवासी लखमा बाल-बाल बच गए, हालांकि उन पर कई तरह की साजिश की अटकलें लगाईं गईं, लेकिन जांच में एनआईए को विधायक के खिलाफ कोई भी साजिश का सबूत नहीं मिला।
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