Jaipur Lit Fest: राजस्थान के शहर जयपुर में इन दिनों जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) चल रहा है। इसके दूसरे दिन शुक्रवार (20 जनवरी 2023) को ‘द नेचर ऑफ फीयर’ सत्र आयोजित किया गया। इस दौरान जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने अच्छे दिनों को लेकर इशारों-इशारों में तंज भी कसा। उन्होंने कहा कि अच्छे दिनों का हमने कई बार इंतजार किया है, लेकिन कम्बख्त आते ही नहीं हैं अच्छे दिन। इस सेशन को सुनने के लिए मशहूर गीतकार गुलजार (Gulzar) और पॉप सिंगर उषा उत्थुप भी मौजूद रहीं।

जावेद अख्तर ने कहा कि जिस वक्त लोगों का इंस्टीट्यूशन से विश्वास उठ रहा था, तभी एंग्री यंग मैन हमारे दिमाग में आया था। उस दौरान इमरजेंसी भी आई थी। उन्होंने कहा कि एंग्री यंग मैन 1955 में नहीं आ सकता था क्योंकि उस वक्त हम खुश थे कि सब ठीक होने वाला है।

चोट लगती है तो नज्म लिखकर ओढ़ लेता हूं- Gulzar

वहीं, फेस्टिवल में जावेद अख्तर को सुनने पहुंचे मशहूर गीतकार गुलजार ने भी नज्म पढ़कर सुनाई- “मैं नज़्में ओढ़कर बैठा हुआ हूं,
ठिठुरने लगता हूं, कोना उठता है कोई जब कहीं से, किसी मिसरे के अंदर झांक कर छूता है कोई, मेरे नंगे बदन पर कंपकंपी दौड़ जाती है। मुझे जब चोट लगती है, एक नई नज्म लिख कर ओढ़ लेता हूं।”

सर्कस में उल्टा लटकने वाला घर आकर वैसे ही नहीं लटकता- Javed Akhtar

फेस्टिवल में जावेद अख्तर के बारे में बात करते हुए शबाना आजमी ने कहा कि अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि आपके पति इतनी रोमांटिक रचनाएं लिखते हैं, ये घर पर भी बहुत रोमांटिक होंगे। ऐसे में मैं उन सभी को कहती हूं कि जावेद साहब में रोमांस नाम की एक हड्डी तक नहीं है। शबाना आजमी के इस बयान पर जावेद अख्तर ने कहा कि सर्कस में काम करने वाला व्यक्ति वहां उल्टा लटकता है, पर घर आकर वह वैसे ही उल्टा नहीं लटकता।

Ravish Kumar ने खुद माना कभी थे डरपोक इंसान

शुक्रवार को जयपुर में यह पूछे जाने पर कि उनके सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करने की क्या वजह है? रवीश कुमार ने कहा कि ऐसे भी दिन होते हैं जब उनमें ऐसा करने का साहस नहीं होता। उन्होंने कहा कि मन और शरीर पर इतना असर होता है कि कभी-कभी मैं इसे छोड़ देता हूं और आप इसे अकेले कर रहे हैं। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार (Ravish Kumar) ने कहा कि लेखन ने उन्हें एक डरपोक इंसान से एक ऐसे व्यक्ति के रूप में बदलने में मदद की है जो सत्ता में बैठे लोगों से सवाल कर सकता है।

रवीश ने आगे कहा, “मैं बहुत डरपोक इंसान हुआ करता था, यहां तक ​​कि सड़क पार करने से भी डरता था। उस वक्त मुझे जानने वाले लोग हैरान थे कि यह इतना कैसे बोल पाता है?’ लेखन ने मुझे विकसित होने में बहुत मदद की। मैं जितना ज्यादा लिखता हूं, मुझे डर उतना कम लगता है।”