जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और अब कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा है कि राहुल गांधी निर्भीक और सच्चे नेता हैं। कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करने के बीजेपी को फायदा होता है। कन्हैया कुमार ने शुक्रवार को भाजपा के टुकड़े-टुकड़े गैंग के नारे को पलटते हुए कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि बीजेपी को चुनावों में हराया जा सकता है और वह इसे पूरा होते देखेंगे।

एनडीटीवी से बात करते हुए कन्हैया ने कहा- “भाजपा मुझे टुकड़े-टुकड़े गैंग कहती है। मैं बीजेपी के लिए टुकड़े-टुकड़े हूं, और बीजेपी के टुकड़े-टुकड़े करूंगा। यह पार्टी गोडसे को राष्ट्रपिता मानती है, गांधी नहीं। वे केवल बिडेन के सामने गांधी की प्रशंसा करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को “नाथूराम-बनाई जोड़ी” कहते हुए कन्हैया ने कहा कि बीजेपी की विचारधारा खुलेआम महात्मा गांधी के खिलाफ है। कन्हैया ने कांग्रेस के सवाल पर कहा कि कई अन्य युवाओं की तरह, मुझे लगता है कि देर हो रही है। जिस पार्टी के पास देश के लिए आजादी जीतने की विरासत है, उस आजादी को बचाने के लिए, उस पार्टी को सबसे मजबूत होना चाहिए। बीजेपी में नेताओं के शामिल होने पर उन्होंने कहा कि जो केवल अपने राजनीतिक करियर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं वे बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।

कन्हैया ने कांग्रेस नेतृत्व का बचाव करते हुए कहा कि कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना से भाजपा को मदद मिलती है… हर कोई समझता है कि जब देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस है, तो कांग्रेस जितनी सफल होगी, भाजपा को उतनी ही बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा।

आगे कन्हैया ने कहा कि अन्य सभी विपक्षी दल क्षेत्रीय दल हैं। राष्ट्रीय लेवल पर कांग्रेस एकमात्र विपक्षी ताकत है। इसमें हमेशा क्षमता थी। भाजपा पूरी तरह से पराजित हो सकती है। अगर मुझे नहीं लगता कि उन्हें हराया जा सकता है, तो मैंने लड़ाई छोड़ दी होती।

राहुल गांधी के सवाल पर जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने कहा- “राहुल गांधी के साथ बातचीत में मुझे महसूस हुआ कि वह एक दयालु नेता हैं। हमेशा मुझसे मेरी मां और मेरे पिता के स्वास्थ्य के बारे में पूछते हैं। मैं वास्तव में उनके बारे में सराहना करता हूं। ये गुण मुझे आकर्षित करते हैं। वह ईमानदार हैं उनकी लड़ाई में ईमानदारी है। वह एक निडर नेता हैं जो चाहते हैं कि सच्चाई की जीत हो।”

बता दें कि 28 सितंबर को कन्हैया ने सीपीआई छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। कन्हैया सीपीआई के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि वो सीट जीतने में असफल रहे थे।