जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के चीफ प्रॉक्टर कृष्ण कुमार के इस्तीफे की अटकलों पर जेएनयू प्रशासन ने सफाई दी है। जेएनयू ने कहा है कि विवाद शुरू होने से काफी पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ‘‘कृष्ण कुमार ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए जनवरी में पद से इस्तीफा दे दिया था। नवनिर्वाचित कुलपति ने उनसे फरवरी के अंत तक पद पर बने रहने को कहा और इस बीच पद के लिए नियुक्ति को अंतिम रूप दिया गया। उनके इस्तीफे का वर्तमान विवाद से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि वह कार्यक्रम नौ फरवरी को हुआ था जबकि उन्होंने उससे काफी पहले इस्तीफा दे दिया था। दोनों घटनाओं को जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।’’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृष्ण कुमार ने 29 फरवरी को इस्तीफा दिया और इसके अगले दिन ही एपी डिमरी को नया प्रॉक्टर बनाया गया। खबरों के मुताबिक, जेएनयू के एक दस्तावेज में सामने आया कि नारेबाजी की घटना सामने आने पर एक प्रॉक्टर जांच कमेटी का गठन किया गया था। लेकिन 11 फरवरी को ही इसके चार घंटे बाद एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर दिया गया। जांच कमेटी का गठन वीसी ने किया था। इसके बाद कमेटी ने पहली जांच कमेटी की जगह ली थी। विश्वविद्यालय नियमों के मुताबिक प्रॉक्टर ही शिक्षकों से संबंधित मामलों को देखता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृष्ण कुमार को उस दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर करना पड़ा था, जिसमें कन्हैया कुमार, अनिर्बन, उमर खालिद, रामा नागा, आशुतोष समेत आठ छात्रों को बहिष्कृत करने के लिए कहा गया था।