जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने को लेकर भाजपा और पीडीपी के बीच कोई बात बनती नजर नहीं आ रही। सरकार को लेकर दस सप्ताह तक बनी हुई असमंझस की स्थिति के बाद पीडीपी-भाजपा का गठबंधन लगभग टूट चुका है। राज्यपाल एनएन वोहरा ने विधानसभा भंग करने करने के लिए 8 अप्रेल तक का वक्त तय किया है। गठबंधन को तभी बचाया जा सकता है अगर भाजपा महबूबा की शर्तें मान लेती है। भाजपा के साथ बातचीत फेल होने के बाद महबूबा मुफ्ती शनिवार सुबह श्रीनगर पहुंचीं। सूत्रों के मुताबिक यहां आने के बाद वे अपने घर से बाहर नहीं निकली हैं और न ही अपनी पार्टी के किसी नेता से मुलाकात की है। साथ ही सूत्रों का कहना है कि हालांकि, वे अपने पार्टी नेताओं से गठबंधन टूटने की परिस्थितियों के बारे में बातचीत करने की योजना बना रही हैं।
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महबूबा के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक पीडीपी में दरार डालने की कोशिश की गई, ताकि अलग गठबंधन के लिए रास्ता साफ कर लिया जाए। सूत्र ने साथ ही बताया कि महबूबा इसको लेकर भी परेशा नहीं हैं। वह अपनी पार्टी से कह चुकी हैं कि वे उनकी गर्ज के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करने की बजाए अकेले ही चुनाव लड़ना पसंद करेंगी। साथ ही चर्चा है कि पीडीपी की ‘बी टीम’ महबूबा के बिना ही सरकार बनाने को लेकर तैयार है। जम्मू-कश्मीर में दल-बदलू कानून बहुत कठिन है, लेकिन अगर वे अभी पीडीपी पार्टी छोड़ते हैं तो आसान रहेगा। अगर 15 सदस्य पार्टी छोड़ते हैं तो उन्हें महबूबा के अलावा अपने विधायक दल के नेता चुनना होगा, ताकि भाजपा के साथ गठबंधन कर सकें।
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भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर पीडीपी के नेता तीन हिस्सों में बंट गए हैं। एक ग्रुप भाजपा के साथ गठबंधन न करने के महबूबा के फैसले को लेकर खुश है। उनका सोचना है कि इस गठबंधन से उनकी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। दूसरा ग्रुप का नेतृत्व पार्टी के पुराने चेहरे कर रहे हैं। उनका मानना है कि भाजपा को नाराज करके सरकार नहीं बनानी चाहिए। क्योंकि केंद्र की इच्छा के खिलाफ अगर गए तो हम लोग नुकसान के अलावा कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। तीसरा ग्रुप वह है जिसने एक साल में भाजपा के साथ अच्छा संबंध बना लिए हैं। इस ग्रुप को लेकर चर्चा है कि ये ग्रुप पीडीपी का साथ छोड़ सकता है। हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई है इसका खुलासा पीडीपी विधायकों की बैठक के बाद ही होगा।