बाबूलाल मरांडी की अगुवाई वाले झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) (झाविमो) ने मंगलवार को 17 फरवरी को भाजपा में विलय करने के अपने निर्णय की घोषणा की। झाविमो के अध्यक्ष मरांडी ने रांची संवाददाताओं को बताया कि पार्टी की केंद्रीय समिति ने पार्टी के भाजपा में विलय को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। लेकिन इसी भगवा पार्टी ने पांच साल पहले झाविमो के छह विधायकों को तोड़कर भगवा पार्टी ने मरांडी को बड़ा झटका दिया था।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा 17 फरवरी को रांची के प्रभात तारा मैदान में विलय समारोह में उपस्थित रहेंगे।  मरांडी ने यह भी कहा कि केंद्रीय समिति ने पार्टी विधायकों-प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के निष्कासन को भी मंजूरी दे दी।

झाविमो ने पिछले सप्ताह यादव को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था। उससे कुछ पहले ही यादव ने नयी दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से भेंट की थी। यादव एक ही पखवाड़े में झाविमो से निकाले जाने वाले दूसरे पार्टी विधायक थे। उससे पहले तिर्की को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर निकाल दिया गया था। झाविमो ने विधानसभा चुनाव में तीन सीटें जीती थीं। यादव और तिर्की के अलावा स्वयं मरांडी भी चुनाव जीते थे।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जेवीएम के भाजपा में विलय के बाद बाबूलाल मरांडी को झारखंड में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। ऐसी चर्चा भी है कि राज्य की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी मरांडी को देने के बाद रघुवर दास को केंद्रीय राजनीति में बुलाया जा सकता है।

गौरतलब है कि वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड नया राज्य बना था, तब मरांडी प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने थे। वे उस समय भाजपा के दिग्गज नेता माने जाते थे। पिछले साल हुए चुनाव में मरांडी की पार्टी ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन इनके दो विधायकों प्रदीप यादव और बंधु टर्की ने हेमंत सोरेन को समर्थन दे दिया था। इसके बाद पार्टी ने दोनों विधायकों को निकाल दिया था। (भाषा इनपुट के साथ)