राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पारित कराने के लिए केंद्र सरकार के लिए मुश्किल बढ़ती जा रही है। विपक्ष के पार्टियों का इस विधेयक का विरोध करने के बाद राजग की सहयोगी पार्टी जद(यू) ने भी अपने रुख साफ कर दिया है और इस बिल के खिलाफ वोट करने की बात कही है। जदयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि राज्यसभा में उनकी पार्टी तीन तलाक बिल का समर्थन नहीं करेगी।सहयोगी दल के हाथ खींचने से राज्यसभा में इस विधेयक को लेकर भाजपा की राह और मुश्किल हो गई है।
जदयू प्रवक्ता के सी त्यागी ने विधेयक की निंदा करते हुए कहा कि यह ‘‘थोपे जाने वाली प्रकृति’’ का है और ‘‘निश्चित रूप से समाज में विश्वास की कमी पैदा करेगा।’’ इस विधेयक में एक बार में तीन तलाक देने वाले मुस्लिमों को तीन साल तक के कारावास की सजा का प्रावधान है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘हम विधेयक का विरोध करेंगे।’’ सूत्रों का कहना है कि यह विधेयक सोमवार को राज्यसभा में चर्चा एवं पारित कराने के लिए पेश किया जा सकता है। लोकसभा में यह विधेयक 25 जुलाई को पारित हुआ था।
लोकसभा में बिल को विचार के लिए पेश करने के पक्ष में 303 और विपक्ष में 82 वोट पड़े थे। अब इसे कानून में तब्दील होने और अध्यादेश की जगह लेने के लिए राज्यसभा की मंजूरी पानी होगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत जदयू ने लोकसभा में विधेयक के समर्थन में वोट नहीं किया था और बहिर्गमन किया था।
हालांकि इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि भाजपा के पास निचले सदन में अपने पास मजबूत बहुमत हासिल है। जदयू राज्यसभा में भी इसी तरह का रुख अपनाती दिख रही है। राज्यसभा में विधेयक पारित कराने के लिए संख्या जुटाना भाजपा के लिए चुनौती है क्योंकि उसके पास इस सदन में बहुमत नहीं है और वह बीजद, टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों पर निर्भर है जिनका न तो भाजपा नीत राजग और ना ही विपक्ष की तरफ झुकाव है।
संख्या बल की बात करें तो टीडीपी और इनेलो के कुल पांच राज्यसभा सांसदों को अपने पाले में कर लेने के बाद बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की राज्यसभा में 117 सीटों पर कब्जा है, जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 है। ऐसे में तीन तलाक के मसले पर जदयू ने एनडीए का साथ छोड़ा दिया है तो एनडीए के पास इस बिल को लेकर संख्या 111ही रह जाएगी। ऐसे में सरकार को बिल पास कराने में मुश्किल का सामना करना पड़ेगा।