बुधवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद का विस्तार किया गया। 36 नए चेहरों को मंत्री बनाया गया है, जिनमें राज्यसभा सांसद और जदयू के अध्यक्ष आरसीपी सिंह भी शामिल हैं। लेकिन मीडिया खबरों के अनुसार जदयू की तरफ से 4 मंत्रीपद की मांग की गयी थी। लेकिन पार्टी को मात्र एक पद ही मिला। जिसे लेकर जदयू के भीतर की राजनीति गर्म है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक आरसीपी सिंह को बधाई भी नहीं दिया है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से हालांकि अब तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है लेकिन कयास ये लगाए जा रहे हैं कि कुमार नाराज चल रहे हैं। बताते चलें कि साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से गठबंधन दलों को सांकेतिक प्रतिनिधित्व के तहत जदयू को एक मंत्री पद का ऑफर दिया गया था। जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठुकरा दिया था। नीतीश कुमार उस समय जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हुआ करते थे।

जदयू की तरफ से इन नामों पर थी चर्चा: जनता दल यू की तरफ से मंत्री बनने को लेकर जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए ललन सिंह, आरसीपी सिंह, चंदेश्वर चंद्रवंशी,संतोष कुशवाहा और राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर के नामों पर चर्चा थी। ये सभी नेता अपने-अपने जातियों के मतों को जदयू में ट्रांसफर करवाते रहे हैं। राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं।

विपक्षी दलों ने बोला हमला: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह दोनों ही एक ही जाति से आते हैं। साथ ही दोनों ही नेताओं का गृहक्षेत्र भी एक ही है। ऐसे में प्रमुख विपक्षी दल राजद की तरफ से कहा जा रहा है कि जदयू एक जाति और एक जिले की दल बनकर रह गयी है।

ललन सिंह को लेकर हो रही है चर्चा: जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को नीतीश कुमार का सबसे पुराना सहयोगी माना जाता है। ललन सिंह के कैबिनेट मंत्री बनने को लेकर चर्चा थी लेकिन उन्हें नहीं बनाया गया। मीडिया खबरों के अनुसार उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनने का ऑफर दिया गया है लेकिन उन्होंने बनने से इनकार कर दिया है। ललन सिंह जदयू के सबसे बड़े सवर्ण चेहरे हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह की पत्नी को हराया था। वो लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता भी हैं।