Jammu Kashmir News: जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद निकाय चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है लेकिन इन चुनावों को लेकर सबसे बड़ा पेच जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जे को लेकर है। इसकी वजह यह है कि केंद्र की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार भले ही यह दावा कर रही है कि वो केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए तत्पर है, लेकिन फिलहाल वह इस मामले में जल्दी कोई बड़ा फैसला करने के मूड में नहीं दिख रही है।

जम्मू कश्मीर में निकाय चुनाव को लेकर पेच ये हैं कि जब केंद्र सरकार पूर्ण राज्य के दर्ज के मामले में ज्यादा कुछ सोचती नहीं दिख रही है, तो दूसरी ओर राज्य की उमर अब्दुल्ला सरकार की प्लानिंग पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के पहले निकाय चुनाव न कराने की नजर आ रही है।

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NC क्यों नहीं कराना चाहती चुनाव?

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) सरकार का मानना ​​है कि अगर जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना रहता है तो पंचायतों या जिला विकास परिषदों (DDC) के चुनाव कराने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव जनवरी 2024 से होने हैं, और डीडीसी का कार्यकाल साल भर में खत्म होने वाला है।

जम्मू-कश्मीर सरकार के एक सूत्र ने कहा कि सत्ता की बागडोर दिल्ली के हाथों में है। केंद्र शासित प्रदेश में बहुस्तरीय कमांड संरचना है, जब तक पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल नहीं हो जाता, हम पंचायतों और डीडीसी के चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली द्वारा स्थापित डीडीसी सुरक्षा स्थिति सहित कई कारणों से ज्यादा काम नहीं कर पाए हैं।
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केंद्र सरकार कराना चाहती है चुनाव

इस मामले में केंद्र के सूत्रों ने बताया कि पंचायत चुनाव पहले इसलिए टाले गए क्योंकि सरकार विधानसभा चुनाव के बाद इन्हें कराना चाहती थी। स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने के लिए आयोग की रिपोर्ट का भी इंतजार है। हालांकि एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि केंद्र पंचायतों और अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव कराने के लिए उत्सुक है। यह उन बदलावों में से एक है जो केंद्र जम्मू-कश्मीर में लाना चाहता है।

जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम और नियमों के तहत राज्य सरकार ही चुनाव प्राधिकरण के परामर्श से पंचायतों और डीडीसी के लिए चुनाव कराने की अधिसूचना जारी करती है। हालांकि, केंद्र द्वारा व्यावसायिक नियमों की मंजूरी के अभाव में जम्मू-कश्मीर में सरकार और राजभवन की शक्तियों पर स्पष्टता का अभाव बना हुआ है।
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अमित शाह लगा चुके हैं क्षेत्रीय पार्टियों पर आरोप

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अक्सर मोदी सरकार को चुनावों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र लाने का श्रेय देते हैं, जिसमें 2019 में पंचायतों के लिए लोगों को जमीनी स्तर पर 35,000 प्रतिनिधि देने और दिसंबर 2020 में डीडीसी के लिए चुनाव शामिल हैं। शाह का कहना है कि ऐसा करके मोदी सरकार ने उन तीन परिवारों की ताकत को तोड़ दिया है, जो कश्मीर में लोकतंत्र को बंधक बनाए हुए थे और पंचायत चुनाव नहीं होने देते थे।

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक शून्यता को भरने के लिए डीडीसी की परिकल्पना की गई थी। हालाँकि, पंचायतों और डीडीसी दोनों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। जम्मू कश्मीर की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।