राजनीति छोड़ने की घोषणा करने के एक बाद कश्मीर के शाह फैसल ने मंगलवार को कहा कि पिछले वर्ष राजनीति में जाने का उनके निर्णय से फायदे की जगह नुकसान हुआ क्योंकि उनकी ‘अहिंसा की असहमति’ को ‘देशद्रोह के कृत्य’ के तौर पर देखा गया।’’ उन्होंने लिखित जवाब में कहा, ‘‘मैंने खुद से कहा कि इन निर्णयों को बदलकर और झूठे सपने दिखाकर मैं राजनीति नहीं कर सकता हूं और यह अच्छा है कि छोड़ दूं और लोगों को सच्चाई बता दूं।’’
सिविल सेवा परीक्षा 2009 में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले पहले कश्मीरी शाह फैसल ने मंगलवार को यह कहते हुए अपने निर्णय का बचाव किया कि ‘‘समय के साथ हमारा विकास होता है’’ और पिछले वर्ष पांच अगस्त को विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद कश्मीर में नया राजनीतिक यथार्थ सामने आया। सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल कर फैसल ने पूर्ववर्ती राज्य को गौरवान्वित किया था और उन्हें युवाओं के आदर्श के रूप में देखा जाने लगा था। बहरहाल, पिछले वर्ष जनवरी में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से इस्तीफा दे दिया।
2010 बैच के आईएएस अधिकारी फैसल ने पिछले वर्ष पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को रद्द करने की आलोचना की थी और तुर्की रवाना होने के लिए विमान में सवार होते समय दिल्ली हवाई अड्डे से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद एहतियातन उन्हें हिरासत में ले लिया गया और बाद में पीएसए के तहत उन पर मुकदमा दर्ज किया गया। उन्हें जून में रिहा किया गया।रिहा होने के बाद फैसल ने बताया, ‘‘हिरासत में मैंने इसके बारे में काफी सोचा। और मुझे महसूस हुआ कि मैं लोगों से यह वादा नहीं कर सकता कि इन निर्णयों को मैं वापस करा दूंगा।’’
बीते दिनों राजनीतिक हलकों में कयास लगाये जा रहे थे कि फैसल नवनियुक्त उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार के रूप में तैनात किये जा सकते हैं। गौरतलब है कि सरकार की ओर से उन्हें पिछले कुछ दिनों से सरकार की ओर से नौकरशाही में वापस आने के संकेत मिल रहे थे। उन्होंने हाल ही में अपनी ही पार्टी जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दिया है।
वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नज़र बनाने वाले पूंछ जिले के निवासी और दिल्ली विश्वविद्यालय में शोध छात्र जावेद इकबाल शाह फैसल के इस फैसले पर निराशा जता रहे हैं। उन्होंने बताया कि फैसल के डायरेक्टर ऑफ़ स्कूल एजुकेशन के तौर पर किये गए काम काबिलेतारीफ रहे थे। उनके राजनीति में प्रवेश से विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में बहुमुखी विकास की उम्मीदें थीं।