भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर हैं। अमित शाह ने शनिवार (23 जून) को भारतीय जनसंघ के संस्थापक और भारतीय जनता पार्टी के प्रेरणास्रोत श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित बलिदान दिवस के कार्यक्रम में पीडीपी से गठबंधन खत्म करने की वजह बताई। अमित शाह ने कहा कि जिन शर्तों पर पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, उन पर अमल नहीं हुआ। वह इस मौके पर कांग्रेस पर जमकर बरसे। शाह ने पीडीपी पर जम्मू और लद्दाख के साथ भेदभाव करने और शांति बाहाली में योगदान न देने के आरोप लगाए। बीजेपी अध्यक्ष ने ईद के मौके पर सेना के जवान औरंगजेब की हत्या और पिछले दिनों राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की हत्या का जिक्र किया। मेहबूबा मुफ्ती से समर्थन वापसी की वजह बताते हुए शाह ने कहा, ”जब सरकार बनाई तब.. जो कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बना था, मसौदा तय हुआ था मुफ्ती साहब से उसमें तीन बातें प्रमुख थीं, एक- जम्मू-कश्मीर के अंदर अब संतुलित विकास होगा, जितना विकास घाटी का होगा, इतना ही जम्मू का और लद्दाख का विकास होगा यह प्रमुख बात थी।
दूसरा- यहां पर से शांति बनाए रखने में सरकार हरदम प्रयास करेगी। यहां पर अलगाववादियों का जो आंदोलन है, उसको समाप्त करने में.. यहां से टेरेरिज्म को समाप्त करने में ये सरकार हरदम प्रयास करेगी। और तीसरा- जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा होगा। बड़ी-बड़ी ये तीन शर्तों के साथ हमारा समाधान हुआ था। चार साल तक राह देखी, ढेर सारे पैसे नरेंद्र मोदी सरकार ने भेजे, कश्मीर घाटी के लिए भेजे, लद्दाख के लिए भेजे, जम्मू के लिए विशेष भेजे, अस्सी हजार करोड़ का पैकेज दिया, मोदी जी एक दर्जन से ज्यादा बार यहां आए, सत्ता बैठे हुए हमारे साथियों ने.. हमारे कार्यकर्ताओं ने संतुलित विकास और शांति के लिए बार-बार दबाव बनाया, मगर वो सपना सिद्ध नहीं हुआ, शांति बहाल नहीं हो पाई, चलते-चलते.. ऐसा समय आ गया कि सेना के जवान औरंगजेब को घर से अगवा करकर ईद के दिन इसकी हत्या कर दी गई, एक पत्रकार को.. एक एडीटर को.. उठाकर उसकी हत्या कर दी गई।
भारत में लोकतंत्र है, किसी भी अखबार के एडीटर को सबकुछ लिखने की स्वतंत्रता प्राप्त है, और उनको उठाकर हत्या कर दी जाए.. बच्चों के हाथ में पत्थर आ गए, सेना के जवान और सुरक्षाकर्मियों पर आए दिन हमले बढ़ने लगे, दबाव समूह खड़े हो गए, दबाव समूह ने सरकार को काम नहीं करने दिया। दूसरी ओर विकास के मोर्चे पर ढेर सारा काम किया नरेंद्र मोदी सरकार ने, बहुत सारे प्रयास किए, पैसे दिए, संस्थान दिए, योजनाएं दीं, मगर जम्मू और लद्दाख के लिए भेदभाव जारी रहा। पैसे तो भेजे हमने मगर वो नीचे तक पहुंचे नहीं। योजनाएं लागू नहीं होती थीं। और जम्मू और लद्दाख का विकास धीरे-धीरे..पिछड़ता गया। विकास का संतुलन बिगड़ता गया। तब हमने सोचा कि अगर सत्ता में रहकर यही होना है तो इससे तो अच्छा है हम विपक्ष में बैठकर इसकी मुखालपत करें, इसका विरोध करें।”
LIVE: Shri @AmitShah addressing a public meeting in Jammu. #JnKWithBJP https://t.co/dCv0vg0Tf6
— BJP (@BJP4India) June 23, 2018
श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर शाह ने कहा, ”आज जम्मू और कश्मीर पूरे भारत के साथ जुड़ा है तो वह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान के कारण जुड़ा है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी द्वारा किए गए आन्दोलनों और उनके बलिदान का ही परिणाम है जिसने जम्मू और कश्मीर से परमिट व्यवस्था को समाप्त किया। देश में अगर किसी राजनीतिक पार्टी की सरकार गिरती है तो वह अफसोस जताते हैं, लेकिन सिर्फ भारतीय जनता पार्टी एकमात्र ऐसी ऐसे पार्टी है जो सरकार गिरती है तो भारत माता की जय के नारे लगाकर उसका स्वागत करती है। भारतीय जनता पार्टी के लिए सरकार नहीं बल्कि जम्मू और कश्मीर का विकास और उसकी सुरक्षा एक मात्र उद्देश्य है।”
शाह ने इस मौके पर कांग्रेस को जमकर लताड़ा और उसका आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से रिश्ता पूछ लिया। शाह ने कहा, ”कांग्रेस के नेता कश्मीर के सम्बन्ध में बयान करते हैं और उनके बोलते ही लश्कर-ए-तैयबा उसका समर्थन कर देता है। राहुल गांधी जी जवाब दें कि आपके नेता के बयान को लश्कर-ए-तैयबा समर्थन कर रहा है, यह कांग्रेस और लश्कर-ए-तैयबा के बीच में किस प्रकार का रिश्ता है? आज पूरा देश राहुल गांधी जी से जानना चाहता है कि ये कौन सा रिश्ता है जो लश्कर-ए-तैयबा और गुलाम नबी आजाद के विचार एक समान हो जाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, ”सैफुद्दीन सोज साहब, भाजपा कभी जम्मू कश्मीर को भारत से अलग नहीं होने देगी। जम्मू कश्मीर हिंदुस्तान का अटूट हिस्सा है। श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने इससे अपने खून से सींचा है। मैं जम्मू और कश्मीर की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं, कांग्रेस पार्टी कितना भी षड्यंत्र करले लेकिन कोई भी जम्मू और कश्मीर को भारत से अलग नहीं कर सकता।