भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 के 14 जुलाई को लॉन्च के बाद चांद पर पहुंचने की उसकी यात्रा अभी जारी है। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 के लैंडर के आज शाम करीब 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की संभावना है। इस लैंडर में एक रोवर भी है।

पूरा देश जहां आज चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग के लिए प्रार्थना कर रहा है। वहीं, भारत की ‘रॉकेट वूमन’ के नाम से मशहूर लखनऊ की बेटी डॉ रितु कारिधाल के कंधों पर इसकी सफल लैंडिंग की जिम्मेदारी है। सीनियर महिला वैज्ञानिक डॉ रितु चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं। अभियान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरा मुथुवेल हैं। इसके पहले डॉ रितु मंगलयान की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर और चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर रह चुकी हैं।

1997 में डॉ रितु कारिधाल ISRO से जुड़ीं

डॉ रितु कारिधाल का जन्म 1975 में लखनऊ में हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से B.Sc. और M.Sc.की पढ़ाई की, फिर यही से पीएचडी की। उन्हें अंतरिक्ष में शुरुआत से ही रुचि थी। इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने के लिए उन्होंने बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रवेश किया। इसके बाद साल 1997 में डॉ रितु कारिधाल ISRO में नौकरी की करने लगीं।

डॉ रितु कारिधाल को कई उपलब्धियां मिली हुई है। उन्होंने कई और मिशन में भी अहम भूमिका निभाई है। डॉ रितु को यंग साइंटिस्ट अवार्ड भी मिला है। उन्हें एरोस्पेस महिला उपलब्धि पुरस्कार से भी नवाजा गया है, जो सोसाइटी ऑफ इंडियन एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्रीज द्वारा दिया जाता है। डॉ रितु कारिधाल को ‘रॉकेट वुमन’ के नाम से भी जाना जाता है।

चंद्रयान मिशन का तमिल कनेक्शन

इसके अलावा चंद्रयान मिशन का तमिल कनेक्शन और इसके मॉड्यूल पर वैज्ञानिक पेलोड की मौजूदगी इसरो के महत्वाकांक्षी चंद्र अभियानों की दो प्रमुख विशेषताएं हैं। चंद्रयान मिशन के तमिल कनेक्शन का संदर्भ इस बात से है कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े महत्वाकांक्षी चंद्र अभियानों का नेतृत्व तमिलनाडु के तीन वैज्ञानिकों ने किया है। ‘भारत के मून मैन’ कहलाने वाले मयिलसामी अन्नादुरई ने 2008 में पहले चंद्रयान मिशन और एम वनिता ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन का नेतृत्व किया था, जबकि एम वीरमुथुवेल मौजूदा चंद्रयान-3 मिशन की कमान संभाल रहे हैं।